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- With The Recovery Of The Economy, Investment In Risky Assets Like Equity And Crude Is Increasing.
मुंबई2 दिन पहले
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अगले साल से एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती शुरू हो सकती है। इस साल के आखिर तक भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला पलट सकता है। कॉपर-गोल्ड रेश्यो पीक से उतरना इसका सबसे मजबूत संकेत है। विश्लेषकों के मुताबिक यह ब्याज दरों में गिरावट शुरू होने से पहले की स्थिति होती है।
कॉपर-गोल्ड रेश्यो 83 के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर से 79 पर
15 जुलाई को कॉपर-गोल्ड रेश्यो 83 के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर था, जो अभी 79 पर आ गया है। अमेरिकी अर्थशास्त्री क्रिस किंबल ने एक नोट में लिखा, ‘2022 की पहली छमाही ब्याज दरें बढ़ने का दौर रहा। बढ़ती महंगाई से राहत के लिए दुनियाभर के ज्यादातर केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरें बढ़ाईं, लेकिन दूसरी छमाही के हालात अलग हैं। कमोडिटी के दाम घटने लगे हैं और महंगाई कम होने लगी है। इसके चलते ब्याज दरों में कटौती भी शुरू हो सकती है।’
किंबल के मुताबिक, कॉपर-गोल्ड रेश्यो ब्याज दरों का ट्रेंड पलटने का संकेत दे रहा है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला खत्म होने का संकेत
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के रुख से भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला खत्म होने का संकेत मिलता है। गुरुवार को पॉलिसी रेट 0.75% बढ़ाने के साथ ही उन्होंने कहा कि आगे इसमें 0.50% से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। उधर रूस ने ब्याज दरों में कटौती भी की है।
किंबल ने अपने नोट में कहा है कि महंगाई कम होने के बाद अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरें कम करनी होगी। ऐसा न करने पर रोजगार को लेकर चिंता पैदा होने लगेगी, जो महंगाई से ज्यादा बड़ी चुनौती है।
कॉपर में तेजी अर्थव्यवस्था संभलने का संकेत
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि सोने में तेजी आर्थिक अनिश्चितता का संकेत होती है। दूसरी तरफ कॉपर में तेजी अर्थव्यवस्था मजबूत होने की संभावना दर्शाती है। कॉपर-गोल्ड रेश्यो घटने का सीधा मतलब है कि सोने में गिरावट आ रही है और कॉपर में तेजी लौट रही है। जाहिर है यह आर्थिक चुनौतियां कम होने का साफ संकेत है।
निवेशकों को अर्थव्यवस्था के फिर पटरी पर लौटने की आशा
केडिया ने कहा कि लोग सोने से पैसा निकालकर इक्विटी और क्रूड जैसे रिस्की एसेट में पैसा लगाने लगे हैं। साफ है कि निवेशकों को लग रहा है कि आगामी महीनों में सप्लाई की बाधाएं और महंगाई से राहत मिलेगी और अर्थव्यवस्था एक बार फिर पटरी पर लौटने लगेगी। ऐसा होने पर ब्याज दरों में कटौती स्वाभाविक है।
साल के आखिर तक थमेगा रेपो रेट में बढ़ोतरी का दौर
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक इस साल के आखिर तक रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला थम जाएगा। उससे पहले रिजर्व बैंक दो-तीन किस्तों में रेपो रेट 0.75% बढ़ा सकता है। इसके 6% तक पहुंचने की संभावना है, जिसके बाद इस मामले में स्थिरता आएगी।
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