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- Disinvestment Target 2022 | Narendra Modi Government Likely To Miss Divestment Target
मुंबई21 घंटे पहले
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केंद्र सरकार लगातार तीसरे साल विनिवेश से चूक सकती है। चालू वित्तवर्ष यानी 2021-22 में अभी तक केवल 9,329 करोड़ रुपए ही जुट पाया है। जबकि साल खत्म होने में केवल 70 दिन और बाकी हैं।
एअर इंडिया की हुई डील
सरकार ने चालू वित्तवर्ष में एअर इंडिया के रूप में सबसे बड़ी डील की। इसे टाटा ग्रुप को बेचा गया। इस पर 61 हजार 562 करोड़ रुपए का कर्ज है। डील के अनुसार, इसमें से केवल 25% या 15 हजार 300 करोड़ रुपए ही टाटा लेगा। बाकी की रकम एअर इंडिया असेट्स होल्डिंग लिमिटेड को दे दिया जाएगा।उसके बाद से सरकार अभी तक कोई बड़ी डील नहीं कर पाई है।
LIC पर है नजर
हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि LIC के रूप में सबसे बड़ा IPO मार्च के पहले आ सकता है। अगर यह होता है तो सरकार को 80 हजार से एक लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। फिर भी विनिवेश का जो 1.75 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य है, वह पूरा नहीं होगा।
1.75 लाख करोड़ के विनिवेश का लक्ष्य
पिछले साल बजट में सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट मैनेजमेंट (दीपम) के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक इसका केवल 5% हिस्सा ही जुट पाया है। पिछले साल बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कुछ चुनिंदा सरकारी कंपनियों में सरकार अपना मालिकाना हक घटा सकती है।
NMDC से मिले 3,651 करोड़ रुपए
आंकड़ों के मुताबिक, अब तक सरकार ने NMDC में ऑफर फॉर सेल के जरिए हिस्सा बेचकर 3,651 करोड़ रुपए जुटाया। हुडको में OFS के जरिए 720 करोड़ जबकि HCL में OFS से 741 करोड़ रुपए जुटाए हैं। हिस्सा बेचने के बाद NMDC में सरकार की हिस्सेदारी 60.8, हुडको में 81.81 और HCL में 66.15% है। अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 3,994 करोड़ रुपए जुटाए गए।
भारत पेट्रोलियम से मिलेगी ज्यादा रकम
जिन बड़ी कंपनियों में हिस्सा बेचकर ज्यादा रकम जुटाने की योजना है, उसमें भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, शिपिंग कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन, IDBI बैंक, BEML, पवन हंस, नीलांचल इस्पात के साथ अन्य कंपनियां हैं। इसमें सबसे ज्यादा रकम भारत पेट्रोलियम से मिलने वाली है। पवन हंस से 350-400 करोड़, BEML और शिपिंग कॉर्पोरेशन से 3,600 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। दिसंबर 2021 में सरकार ने लोकसभा में कहा था कि उसे भारत पेट्रोलियम के लिए कुछ पत्र मिले हैं।
इसके अलावा दो और सरकारी बैंकों तथा एक जनरल इंश्योरेंस में भी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। इसके नाम का खुलासा सरकार ने नहीं किया था।
प्राइवेट सेक्टर दिखा रहा है दिलचस्पी
हालांकि सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर प्राइवेट सेक्टर में काफी दिलचस्पी है। इसका सीधा उदाहरण टाटा ग्रुप है, जिसने घाटा देने वाली एअर इंडिया को बोली लगाकर ले ली। इसने 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। टाटा 2,700 करोड़ रुपए कैश सरकार को देगी और 15,300 करोड़ इसके कर्ज के लिए देगी। इस डील को मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।
2020 से लक्ष्य से चूक रही सरकार
आंकड़ों के मुताबिक, वित्तवर्ष 2018 में सरकार ने 72 हजार 500 करोड़ का लक्ष्य रखा था, जबकि उसे 1 लाख करोड़ रुपए मिले थे। 2019 में 80 हजार के सामने 94,727 करोड़ रुपए और 2020 में 90 हजार करोड़ की जगह 50,204 करोड़ रुपए मिले। वित्तवर्ष 2020-21 में 2.10 लाख करोड़ रुपए की जगह केवल 32,886 करोड़ और चालू वित्तवर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपए की जगह अभी तक महज 9,329 करोड़ रुपए मिले हैं।
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