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नई दिल्ली16 घंटे पहले
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केंद्र सरकार ने डिजिटल ऐडवर्टाइजमेंट में मोनोपॉली के गलत इस्तेमाल के मामले में गूगल जैसे सर्च इंजन के खिलाफ कदम उठाने का मन बना लिया है। फिलहाल वो अपनी इन योजनाओं को अंतिम रूप देने में लगी है। गूगल पर आरोप है कि वो मीडिया हाउसेज के डिजिटल कंटेंट पर भारी भरकम ऐड रेवेन्यू कमाता है, लेकिन पब्लिशर्स के साथ उचित मात्रा में इसे शेयर नहीं करता। इससे पब्लिशर्स को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है।
रेवेन्यू शेयरिंग में आएगी निष्पक्षता
सरकार के कदम से बिग टेक और भारतीय मीडिया के बीच रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था में निष्पक्षता आने की उम्मीद है। मीडिया के सूत्रों ने कहा कि इंडियन लीडरशिप सही कदम उठा रही है। ये कदम वैसे ही है जैसे की कई और लोकतंत्रों में उठाए गए हैं। मीडिया इंडस्ट्री के लीडर गूगल जैसे बिग टेक के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं। वे केवल उनकी अनफेयर बिजनेस प्रैक्टिसेज के खिलाफ हैं।
मामले केवल भारत तक सीमित नहीं
इस मामले को फॉलो करने वाले सूत्रों के मुताबिक, ‘बिग टेक’ के एकाधिकारवादी रवैये (मेनोपॉलिस्टक एटीट्यूड) का मुद्दा भारत तक ही सीमित नहीं है। ये ग्लोबल लड़ाई बनी हुई है। कई देशों में न्यूज इस्टैब्लिशमेंट इंडस्ट्री ऐसी प्रैक्टिसेज की शिकार रहीं है। जैसे-जैसे इस तरह की पैक्टिसेज सामने आ रही हैं, कानून और जुर्माने आदि के माध्यम से देश इससे निपटने और उस पर अंकुश लगाने का तरीका खोजने लगे हैं। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इससे निपटने के लिए विशिष्ट कानून बनाए हैं। हाल ही में कैनेडा ने भी ऑनलाइन न्यूज एक्ट पास किया है।
गूगल पर 4700 करोड़ का जुर्माना
फ्रांस में एंटीट्रस्ट बॉडी के आदेशों का पालन नहीं करने पर जुलाई 2021 में गूगल पर 592 मिलियन डॉलर (करीब 4700 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगा था। कुछ समय पहले यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने गूगल की ऐडवर्टाइजमेंट और सर्च इंजन मोनॉपॉली के दुरुपयोग को खत्म करने के लिए यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट फॉर कोलंबिया में शिकायत दर्ज की थी। दिसंबर 2020 में लगभग 40 राज्यों ने साउथ डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क के समक्ष गूगल के खिलाफ एंटीट्रस्ट लॉसूट दायर किया था।
EU ने 21000 करोड़ का जुर्माना लगाया
2017 में, गूगल पर यूरोपियन यूनियन सर्च रिजल्ट में अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अपनी खुद की शॉपिंग सर्विसेज को फेवर करने पर 2.7 अरब डॉलर (करीब 21000 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया था। दक्षिण कोरिया की संसद ने अगस्त 2021 में एक विधेयक को मंजूरी दी थी। ये विधेयक गूगल और एपल जैसे ऐप स्टोर ऑपरेटर्स को अपने बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर करने को बैन करता है। दरअसल ये कंपनियां ऐप डेवलपर्स को इन-ऐप पर्चेज के लिए खुद के बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर करती थी।
CCI की भी गूगल के खिलाफ कार्रवाई
भारत में CCI गूगल के खिलाफ कार्रवाई में आगे रहा है। 2019 में CCI ने गूगल के एंड्रॉइड डॉमिनेस के गलत इस्तेमाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। CCI ने नवंबर 2020 में इन-ऐप पर्चेज के लिए गूगल प्ले स्टोर पेमेंट सिस्टम के अनिवार्य उपयोग के मामले की जांच के आदेश भी दिए थे। इसमें इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या गूगल के पेमेंट बिजनेस गूगल पे ने डिजिटल पेमेंट मार्केट में अपने डॉमिनेंस का दुरुपयोग किया। जून 2021 में CCI ने भारत के स्मार्ट टेलीविजन मार्केट में एंड्रॉइड के डॉमिनेंस के दुरुपयोग के आरोपों की भी जांच के आदेश दिए थे।
CCI ने गूगल के डॉमिनेंस के एक मामाले में फरवरी 2022 में डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) की गूगल के खिलाफ शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दिए थे। 2012 के केस नंबर 07 में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने कहा था कि ऑनलाइन जनरल वेब सर्च में गूगल की डॉमिनेंट पोजीशन है। इस केस का टाइटल Matrimony.com Limited Vs Google LLC & Ors है। कमीशन ने एंटी कॉम्पिटिटिव प्रैक्टिसेज में शामिल होने पर गूगल पर 136 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था।
गूगल का AI पूरी तरह से फेल
रेपुटेड न्यूज ऑर्गेनाइजेशन्स के कई एडिटोरियल हेड्स ने गूगल पर विभिन्न प्रकार की अप्रमाणिक, अनुपयुक्त सामग्री, फेक न्यूज का मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि गूगल का AI बुरी तरह विफल हो रहा है जिससे पाठकों तक सही जानकारी नहीं पहुंच पा रही। गूगल अज्ञात और अविश्वसनीय पोर्टलों से मिसलीडिंग कंटेट प्रमोट कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक यह सब जल्द ही खत्म हो सकता है। नए रिफॉर्म्स से न केवल इंडियन न्यूज पब्लिशर्स को फेयर रेवेन्यू शेयरिंग मिलेगी बल्कि फेक न्यूज आदि के खतरे भी काफी हद तक कम होंगे।
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