कानपुर4 मिनट पहलेलेखक: शलभ आनंद बाजपेयी
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टेक्नोलॉजी ने आज सट्टे की दुनिया में भी अपनी जगह बना ली है। सट्टा खिलवाने वालों ने टेक्नोलॉजी के सहारे सट्टेबाजी का तौर तरीका बदल दिया है। पहले सट्टा बाजार फोन कॉल पर चलता था। आज भी फोन से ही चल रहा, लेकिन बस तरीका थोड़ा अलग हो गया है। अब सटोरिए मोबाइल ऐप और वेबसाइट के जरिए सट्टा खिलवा रहे हैं। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक जिनको स्मार्ट फोन चलाना आता है, वो अब घर में बैठकर इन ऐप के जरिए दांव लगा सकते है। इसके लिए न तो भारत सरकार ने कोई नियम तय किया है और न ही कोई बंदिशें लागू की हैं।
टेक्नोलॉजी ने बदली सट्टेबाजी की दुनिया
नई टेक्नोलॉजी के सहारे जिस तरह से हम लोग अपने काम को कम समय में और बेहतर तरीके से कर रहे हैं। ठीक उसी तरह से सट्टेबाज और सटोरिए भी टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। प्ले स्टोर में कई ऐसे ऐप हैं, जिसके जरिए सट्टा लगाया जाता है। साथ ही अगर यह ऐप प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं है, तो आप डायरेक्ट इन्हें वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड कर सकते है।
सट्टे के लिए वेबसाइट
- Parimatch.in
- Rajbet.com
- Reddyannabook.in
- 22Bet.com
- 20Betip.com
- Fun88.com
- LeonBet.in
ऐसे कई ऐप और वेबसाइट हैं, जिस पर लॉगिन करके आप आराम से सट्टा लगा खेल सकते है। साथ ही अपने अकाउंट, यूपीआई और अन्य एकाउंट्स को जोड़ कर पैसों का लेनदेन तुरंत कर सकते हैं। कानपुर से लेकर दिल्ली, मुंबई और दुबई तक में इन ऐप के जरिए आप हर गेंद, रन, विकेट और जीत-हार पर दांव लगा सकते हैं।
कैसे खिलाया जाता है सट्टा?
ऐप और वेबसाइट के जरिए लोगों को सट्टा खिलाया जा रहा है। अलग-अलग ऐप और वेबसाइट पर सट्टे के अलग-अलग रेट रहते हैं, लेकिन सब कुछ दुबई में बैठे लोग ही तय करते हैं। दिल्ली के एक नामी बुकी जो कई बार जेल भी गया और अब जेल के बाहर है। उसने नाम छुपाने की शर्त पर बताया कि यह पूरा कारोबार दुबई के भाई की देखरेख में होता है और पैसे का लेनदेन भी अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कोई भी आम आदमी इसे खेल सकता है, लेकिन अगर किसी सटोरिए को इससे जुड़ना है तो उसे अलग आईडी लेनी होगी, जिसके अंदर वो अपने सट्टेबाजों को भेजेगा और वही पैसा कलेक्ट करके जमा करेगा।
पूरा खेल ई-ट्रांजेक्शन और हवाला से चलता है
दिल्ली के बुकी के अनुसार, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और दुबई में बैठे बड़े बुकी हवाला के जरिए छोटे सटोरियों से अपना ट्रांसक्शन करते हैं। साथ ही उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पैसा पहुंचने और निकलवाने के लिए फोर्स करते हैं। छोटे बुकी को गारंटी मनी भी देनी होती है।
ऐप पर हर बॉल पर लगता है रेट
जिस तरह से यह ऐप और वेबसाइट चलती है, उस हिसाब से मैच में सट्टे के रेट मिनट-टू-मिनट अपडेट होते हैं। साथ ही टीमों के भाव भी बदलते रहते हैं। एक व्यक्ति हर बॉल पर, हर चौके और छक्के पर सट्टेबाजी कर सकता है। जो मैच हम टीवी या मोबाइल पर देखते हैं, उससे करीब 20 से 30 सेकेंड जल्दी उसका प्रसारण और स्कोर ऐप और वेबसाइट पर अपडेट हो जाता है।
पूरे देश का कानून एक जैसा होना चाहिए
दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन का कहना है कि भारत सरकार ने 2020 में ऐसे ऐप और वेबसाइट का संज्ञान लिया था, लेकिन उसके लिए कोई कानून नहीं बनाया। जैसे हम देखते हैं कि हमारे देश में हर राज्य का कानून अलग-अलग होता है। गोवा में कैसीनो लीगल है, लेकिन दिल्ली, यूपी और अन्य राज्यों में नहीं। कई राज्यों में अभी भी लॉटरी खेली जा रही है, लेकिन भारत के ज्यादातर राज्यों में यह लीगल नहीं है। पूरे देश का कानून एक तरह का होना चाहिए, न की अलग। आईटी एक्ट को भी भारत सरकार को सख्त करना चाहिए, नहीं तो आने वाले समय में सटोरियों का बोलबाला बढ़ सकता है।
सभी वेबसाइट्स का सर्वर दूसरे देशों में
मुंबई पुलिस के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि हम लोग इन लोगों को इसलिए ट्रैस नहीं कर पाते क्योंकि इन सभी लोगों ने अपने सर्वर विदेशों में लगाए हैं। सट्टे में लिप्त होने के कारण इन लोगों ने वाट्सऐप पर बने ग्रुप को भी बंद कर दिया है। पहले ब्लैक-बेरी इस्तेमाल करते थे, अब टेलीग्राम और अन्य नए ऐप बनवा कर उसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
अभी तक देश में कोई कानून नहीं
सट्टेबाजी के बारे में जब हमने लीगल एडवाइजर शिवाकांत दीक्षित से बात की तो उन्होंने बताया कि देश में सट्टेबाजी को लीगल नहीं माना जाता है। हर साल कई लोग पकड़े जाते है, लेकिन हर सटोरिया जेल तक नहीं पहुंच पाता। अगर कोई जेल जाता भी है तो सबूतों के अभाव में जल्द जमानत हो जाती है। ऐसे में सख्त कानून और कानूनी घेरेबंदी की जरूरत है। इसमें पुख्ता प्रमाण के आधार पर 7 साल या उससे ज्यादा सजा का प्रवधान रखा जाए। तभी सट्टेबाजी पर लगाम लगेगी।
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