नई दिल्लीएक दिन पहले
- कॉपी लिंक
आर्ट गैलरीज, नीलामी फर्म और आर्ट कलेक्टर, सभी इस बात से सहमत हैं कि कोविड महामारी के बाद भारतीय आर्ट मार्केट में एक और सुनहरे दौर की शुरुआत हुई है।
विदेश में सोदबीज व क्रिस्टीज जैसे आर्ट हाउस और नीलामी घर लगातार मुनाफे में जा रहे हैं। कलाकृतियों की नीलामी मूल्य में भी बढ़ोतरी हो रही है। इस बीच भारत में भी कला के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
दिल्ली आर्ट गैलरी के सीईओ आशीष आनंद कहते हैं कि भारतीय आर्ट मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। रजिस्टर्ड ऑक्शन सेल सालाना 3,000 करोड़ रुपए से ऊपर निकल गई है। तीन दशक में ही ये बाजार 600 गुना से ज्यादा बढ़ गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में हुई सबसे ज्यादा बिक्री
पीरामल आर्ट फाउंडेशन के डायरेक्टर अश्विन राजगोपालन कहते हैं कि आमतौर पर हर साल मार्च में कलाकृतियों की बिक्री चरम पर पहुंचती है। इसके बाद नीचे आ जाती है, लेकिन इस साल ऐसा नहीं दिख रहा। अगर भारतीय कला की बात करें तो वित्त वर्ष 2022-23 भारतीय नीलामी घरों के लिए सबसे ज्यादा बिक्री वाला साल रहा।
कुछ साल पहले तक भारत के आर्ट हाउस बहुत अच्छी स्थिति में नहीं थे। अब आर्ट को भी अच्छा रिटर्न देने वाला एसेट क्लास समझा जाने लगा है। पैसे खर्च करके कलाकृतियां खरीदने वाले कद्रदानों और निवेशकों की संख्या बढ़ रही है।
जीरोधा को-फाउंडर बोले- भविष्य में आर्ट बाजार जोरदार प्रदर्शन कर सकता है
देश की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत कहते हैं कि भारतीय आर्ट मार्केट में फिलहाल काफी अवसर और संभावनाएं हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ये पश्चिमी देशों की तुलना में अभी अंडरवैल्यूड है। कामत मानते हैं कि आने वाले सालों में यह बाजार जोरदार प्रदर्शन कर सकता है।
कोविड के बाद आया भारतीय आर्ट मार्केट का सुनहरा दौरा
दिल्ली स्थित आर्ट एडवाइजरी इंडियन आर्ट इन्वेस्टर के मुताबिक, इस साल मार्च में बिकीं 60% से ज्यादा कलाकृतियां ऊपरी मूल्य सीमा से भी ज्यादा कीमतों में बिकीं। आर्ट गैलरीज, नीलामी फर्म और आर्ट कलेक्टर, सभी इस बात से सहमत हैं कि कोविड महामारी के बाद भारतीय आर्ट मार्केट में एक और सुनहरे दौर की शुरुआत हुई है।
परेश मैती को 2014 में पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है।
मार्च में एस्टागुरु द्वारा आयोजित एक सेल में परेश मैती की एक 40×60 इंच आकार की वाटर कलर पेंटिंग के लिए 8-10 लाख रुपए मिलने की उम्मीद थी। लेकिन जब नीलामी खत्म हुई तो बोली 40 लाख रुपए तक पहुंच गई। इससे पहले जून 2022 में इसी आकार की एक पेंटिंग 33.7 लाख रुपए में बिकी थी।
ग्लोबल मार्केट के मुकाबले सिर्फ 0.5% है इंडियन आर्ट मार्केट
दिल्ली आर्ट गैलरी के सीईओ आशीष आनंद कहते हैं कि ग्लोबल मार्केट के मुकाबले इंडियन आर्ट मार्केट राई के दाने के बराबर है। ग्लोबल आर्ट मार्केट सालाना करीब 70 अरब डॉलर (5.77 लाख करोड़ रुपए) का है। इसकी तुलना में भारतीय बाजार 0.5% ही है।
आनंद कहते हैं, ‘3.3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देश में आर्ट मार्केट इससे छह गुना होना चाहिए। देश में ऐसे खरीदार 500 से भी कम हैं, जो 50 लाख से 1 करोड़ की कलाकृतियां खरीदते हैं।’
Stay connected with us on social media platform for instant update click here to join our Twitter, & Facebook
We are now on Telegram. Click here to join our channel (@TechiUpdate) and stay updated with the latest Technology headlines.
For all the latest Business News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.