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31 मार्च से पहले मिलेगी टैक्स छूट: 45 लाख रुपए तक के घर के लिए ले सकते हैं फायदा, अगले साल यह स्कीम बंद हो सकती है

मुंबई2 मिनट पहले

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अगर आप इस चालू वित्तीय वर्ष में सस्ते घर पर टैक्स छूट का फायदा लेना चाहते हैं तो इसे 31 मार्च तक पूरा करना होगा। नहीं तो फिर आप इससे चूक जाएंगे।

सस्ता घर खरीदने का फायदा

यदि आप होम लोन लेकर एक सस्ता घर खरीदना चाह रहे हैं तो सुनिश्चित कर लें कि 31 मार्च, 2022 से पहले आपका होम लोन मंजूर हो जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 के सेक्शन 80EEA के तहत सस्ते घर के लिए अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन 1 अप्रैल, 2022 से उपलब्ध नहीं होगा। सरकार ने अपने बजट 2022 के प्रस्ताव में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इस टैक्स ब्रेक को आगे नहीं बढ़ाया है।

3.5 लाख रुपए की टैक्स छूट मिल सकती है

सेक्शन 80EEA के तहत, सस्ते घर के होम लोन पर दिए जाने वाले ब्याज के लिए 2 लाख रुपए के टैक्स डिडक्शन के अलावा 1.5 लाख रुपए का अतिरिक्त डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। इस तरह एक व्यक्ति सेक्शन 24 और 80EEA का उपयोग करके होम लोन पर दिए गए ब्याज के लिए अधिकतम 3.5 लाख रुपए के डिडक्शन का दावा कर सकता है।

सेक्शन 80EEA डिडक्शन का दावा किया जा सकता है लेकिन इसके लिए इन शर्तों को पूरा करना होगा।

1) लोन देने वाली वित्तीय संस्था द्वारा 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च, 2022 के बीच की अवधि के दौरान लोन मंजूर किया गया हो।
2) घर का स्टैंप ड्यूटी 45 लाख रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए।
3) किसी व्यक्ति के पास लोन की मंजूरी के समय पर कोई दूसरा घर नहीं होना चाहिए।

होम लोन पूरा होने तक कर सकते हैं दावा

जानकारों के मुताबिक, एक बार लोन मंजूर हो जाने के बाद, व्यक्ति इस डिडक्शन का दावा तब तक कर सकेगा जब तक कि होम लोन पूरी तरह से चुका नहीं दिया जाता। सेक्शन 80EEA के तहत डिडक्शन का दावा केवल घरों को खरीदने के लिए किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इस डिडक्शन का दावा केवल व्यक्तिगत खरीदार ही कर सकते हैं।

दो टैक्स का फायदा मिल सकता है

आयकर कानूनों के अनुसार, एक व्यक्ति को होम लोन की किश्त पर दो टैक्स ब्रेक की मंजूरी है। होम लोन किश्त के दो हिस्से होते हैं। प्रिंसिपल रीपेमेंट अमाउंट और चुकाया गया ब्याज। एक व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक चुकाई गई मूल राशि पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन का दावा कर सकता है। स्वयं के कब्जे वाले घर के मामले में अधिकतम 2 लाख रुपए तक के लिए सेक्शन 24 के तहत पेमेंट किए गए ब्याज पर भी डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। यदि वित्तीय वर्ष के दौरान दिया गया ब्याज 2 लाख रुपए से अधिक है, तो व्यक्ति सेक्शन 80EEA के तहत डिडक्शन का दावा कर सकता है, बशर्ते उपर्युक्त 3 शर्तें पूरी हों।

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