मुंबई4 घंटे पहले
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7 दिसंबर, 2021 को मद्रास हाईकोर्ट ने क्रेडिट सुइस एजी, स्विट्जरलैंड स्थित स्टॉक कॉरपोरेशन और एक लेनदार द्वारा दायर एक कंपनी याचिका पर स्पाइसजेट लिमिटेड को बंद करने का आदेश दिया था
सुप्रीमकोर्ट ने विमानन कंपनी स्पाइसजेट को स्विटजरलैंड की कंपनी क्रेडिट सुइस के साथ फाइनेंशियल विवाद के हल के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। इसी के साथ मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर भी तब तक के लिए रोक लगा दी गई है।
हरीश साल्वे ने मांगा समय
चीफ जस्टिस एन.वी रमना, ए.एस बोपन्ना और हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने सीनियर वकील हरीश साल्वे की इस बात पर गौर किया कि स्पाइसजेट स्विस कंपनी के साथ मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास करेगी। साल्वे ने इसके लिए तीन हफ्ते का समय मांगा था। उनकी इस मांग पर क्रेडिट सुइस के वकील भी सहमत हो गए। जिसके बाद सुप्रीमकोर्ट ने 3 हफ्ते तक इस पर रोक लगाने का फैसला किया।
बंद होने का खतरा
स्पाइसजेट एयरलाइंस के ऊपर बंद होने का संकट मंडरा रहा है। इसी वजह से कंपनी पेमेंट विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी और जल्दी सुनवाई की मांग की थी। उसने सुप्रीम कोर्ट से याचिका में कहा था कि अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो एयरलाइंस बैठ जाएगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 28 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगा। स्पाइसजेट की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा था कि मामले की सुनवाई जल्द होना चाहिए।
स्पाइसजेट से जुड़ा पूरा मामला
स्विस वित्तीय सेवा कंपनी क्रेडिट सुइस AG द्वारा लगभग 180 करोड़ रुपए की बकाया राशि पर एक दशक के लंबे गतिरोध को खत्म करने के लिए स्पाइसजेट ने याचिका दायर की है। गुड़गांव स्थित स्पाइसजेट ने आखिरी बार दिसंबर 2019 में लाभ कमाया था। इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही में घाटा एक साल पहले की तुलना में 561 करोड़ रुपए से अधिक हो गया।
पिछले एक साल में उसके शेयर में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई है। एयरलाइन की निगेटिव नेटवर्थ 2014 की तुलना में करीब हो गई है। उस समय एयरलाइंस काम बंद करने वाली थी।
डिवीजन बेंच में अपील खारिज हो गई थी
7 दिसंबर, 2021 को मद्रास हाईकोर्ट की एकल पीठ ने क्रेडिट सुइस एजी, स्विट्जरलैंड स्थित स्टॉक कॉरपोरेशन और एक लेनदार द्वारा दायर एक कंपनी याचिका पर स्पाइसजेट लिमिटेड को बंद करने का आदेश दिया था। हालांकि, इस आदेश को दो हफ्ते के लिए टाल दिया गया था। बाद में स्पाइसजेट ने डिवीजन बेंच में अपील की। जिसे 11 जनवरी को खंडपीठ ने खारिज कर दी। डिवीजन बेंच ने भी आदेश को 28 जनवरी तक के लिए टाल दिया।
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