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- Beer Was Once Delivered On A Bullock Cart, Then An Airline Was Opened To Promote It.
4 घंटे पहले
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‘फ्लाई द गुड टाइम्स’ और ‘द टेस्ट ऑफ रियल इंडिया’। ये दो टैगलाइन एक ही कंपनी के हैं, लेकिन प्रोडक्ट अलग है। एक प्रोडक्ट एयरलाइन और दूसरा बेवरेज। एयरलाइन, जो 20 अक्टूबर 2020 को बंद हो गई थी। बियर, जो अब भी भारतीय बाजार में 34% से ज्यादा की हिस्सेदारी के साथ टॉप पर मौजूद है। इस कंपनी का नाम है…किंगफिशर।
वह कंपनी जिसके 2016 तक मालिक रहे विजय माल्या अपनी चमक दमक वाली जिंदगी के लिए जाने जाते रहे। वहीं विजय माल्या जो कभी ‘द मैन ऑफ गुड टाइम्स’ कहे जाते थे। जिनका समय पिछले कुछ सालों से खराब चल रहा है। उनके बुरे दिनों की वजह बनी किंगफिशर एयरलाइन एक बार फिर चर्चा में है। वजह है देश की तीसरी बड़ी एयरलाइन गो-फर्स्ट का दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन करना। लेकिन आज यह कंपनी सिर्फ बेवरेजेस के बाजार में ही अपनी धमक के साथ मौजूद रह गई है।
आज मेगा एम्पायर में जानिए किंगफिशर कंपनी के एम्पायर बनने की कहानी…
साल 1857 में बियर बनाने से शुरू हुआ सफर
आज जिस किंगफिशर बियर को हम जानते हैं वह यूनाइटेड बुअरीज ग्रुप (यूबी) का हिस्सा है। 1915 में दक्षिण भारत में 5 डिस्टिलरीज यानी शराब की भट्ठियों को मिलाकर इस ग्रुप को स्कॉट्मैन थॉमस लीशमैन नाम के एक व्यक्ति ने बनाया था। इन 5 डिस्टिलरीज में कासल शराब भट्ठी 1857 में बनी सबसे पुरानी थी। इसके अलावा यूनाइटेड, नीलगिरी, बेंगलोर ब्रुइंग को और ब्रिटिश ब्रुइंग को नाम की शराब भट्ठियां शामिल थीं।
उस समय कुछ ही सालों में यह काम चल पड़ा। बैलगाड़ियों पर बड़े-बड़े गैलेन लादकर लोगों के घरों तक बियर पहुंचाई जाने लगी। तब इसके ज्यादातर ग्राहक भारत में रहने वाले अंग्रेज थे। मद्रास, बेंगलुरु और नीलगिरी में रहने वाले ब्रिटिश सैनिकों के लिए यही ग्रुप बियर की सप्लाई करता था। जल्द ही इस बियर का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा।
1947 में एक भारतीय ने खरीद ली कंपनी
विजय माल्या के पिता विट्टल माल्या ने 1946 में यूनाइटेड बुअरीज ग्रुप के कुछ शेयर खरीद लिए। उस समय वो देश के बड़े बिजनेस मैन्स में शुमार थे। अगले साल 1947 में उन्होंने पूरी कंपनी खरीद ली। 1948 में वो कंपनी के पहले भारतीय चेयरमैन बने। 1950 में बेंगलुरु में इसका हेडक्वार्टर बनाया गया। विट्टल माल्या ने धीरे-धीरे देश भर में फैली छोटी-छोटी शराब की भट्ठियों और उनके भंडार घरों का अधिग्रहण करना शुरू किया। 1959 से लेकर 1973 तक केरल, आंध्र प्रदेश, हैदराबाद, गोवा और बिहार जैसे राज्यों में शराब बनाने की भट्ठियां बनाई गई।
1978 में किंगफिशर बियर लॉन्च हुई
1970 के दशक में विट्टल माल्या ने कारोबार को दूसरी इंडस्ट्री में बढ़ाया। पॉलिमर, बैटरी, फूड और बेवरेज में कारोबार फैलाया। इस साल कंपनी की नेट वर्थ 300 करोड़ रुपए थी। पर 1983 में विट्टल माल्या की मृत्यु हो गई।
इस समय उनके बेटे विजय माल्या की उम्र 28 साल थी। अब पिता की पूरी व्यावसायिक विरासत विजय माल्या के पास आ गई थी। बेटे ने भी कारोबार बढ़ाने के लिए दूसरे कारोबार में हाथ आजमाना शुरू किया। इसमें केमिकल, इंजीनियरिंग, न्यूजपेपर और बॉलीवुड मैगजीन शामिल था। लेकिन माल्या को इन बिजनेस में वैसी सफलता नहीं मिली जैसी उसे उम्मीद थी। पर एल्कोहल यानी बियर का बिजनेस चल पड़ा। विजय माल्या ने 1978 में यूनाइटेड बुअरीज के अंब्रेला में किंगफिशर प्रिमियम नाम से बियर का सेल शुरू किया।
बियर की मार्केटिंग के लिए किंगफिशर कैलेंडर शुरू किया
आईपीएल टीम से लेकर फॉर्मूला वन टीम खरीदना हो या एयरलाइन शुरू करना। इन सब को किंगफिशर के एक्सटेंडेड मार्केटिंग स्ट्रैटजी की तरह देखा गया। आईपीएल में किंगफिशर का ऐड तो लोगों की जुबान पर चढ़ गया था। उ ला ला ला ले ओ…की धुन। इस धुन को क्रिएटिव एजेंसी वंडरमैन थॉम्पसन के जे वाल्टर थॉम्पसन ने बनाया था। इसमें धोनी से लेकर विराट कोहली और क्रिस गेल जैसे क्रिकेटर थिरकते नजर आते हैं। किंगफीशर कैलेंडर शुरू करना, आईपीएल टीम और फॉर्मूला वन टीम खरीदना भी इसी मार्केटिंग स्ट्रैटजी का हिस्सा था। इन सभी में फन और गुड टाइम को प्रमोशन का बेस रखा गया था।
बर्थडे पर बेटे को गिफ्ट की किंगफिशर एयरलाइन
किंगफिशर एयरलाइन बनाने की घोषणा 2003 में की गई थी। लेकिन इस एयरलाइन की ऑपरेशन 2005 से शुरू हुई। इसकी भी पेरेंट कंपनी यूनाइटेड बुअरीज ही थी। लो कॉस्ट कैरियर में इसकी हिस्सेदारी करीब 50% थी। इस एयरलाइन के शुरू होने में एक बात खास थी। 9 मई 2005 को पहली प्लेन ने दिल्ली से मुंबई के लिए उड़ान भरी और इसके ठीक एक दिन पहले विजय माल्या के बेटे सिद्धार्थ माल्या का 18 वां जन्मदिन था। कहा जाता है कि विजय माल्या ने बेटे को यह जन्मदिन के गिफ्ट के रूप में दिया था। लेकिन आगे चलकर यह गिफ्ट विजय माल्या के लिए मुसीबत खड़ा करने वाला साबित हुआ।
कहा यह भी जाता है कि किंगफिशर एयरलाइन शुरू करने के पीछे एक मकसद किंगफिशर बियर का एडवरटाइजमेंट और उसका सेल बढ़ाना भी था। दरअसल, 1985 में एडवरटाइजमेंट स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया ने एल्कोहल के प्रचार पर बैन लगा दिया। ऐसे में, पहले किंगफिशर ने मिनरल वॉटर बनाकर प्रचार किया गया। 2005 में एल्कोहल के ऐड ने किंगफिशर एरोप्लेन के केबिन में जगह बना ली। यह एयरलाइन फाइव स्टार एयर ट्रैवल का दूसरा नाम बन गई।
2007 में एयर डेक्कन एयरलाइन ग्रुप को किंगफिशन ने मर्ज कर लिया। इससे साथ 71 एयरक्राफ्ट की फ्लीट के साथ 30% पैसेंजर भी उसके हिस्से आए। इस साल कंपनी को 1540 करोड़ रुपए का इनकम हुआ। यह इस एयरलाइन के इतिहास का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। 2008 में विजय माल्या ने आईपीएल टीम भी खरीद ली। रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु 2016 तक विजय माल्या के पास ही रही।
किंगफिशर कैलेंडर से दीपिका पादुकोण जैसी मॉडल लॉन्च
2003 में ही विजय माल्या ने किंगफिशर नाम से एक कैलेंडर निकालना शुरू किया। इसमें स्विमसूट पहने उस साल की सुपर मॉडल्स की तस्वीर छपती थी। 2010 से सुपर मॉडल्स को चुनने के लिए एमटीवी पर एक शो भी शुरू किया गया था। 2021 तक यह कैलेंडर हर साल छपता रहा। यह कैलेंडर विजय माल्या के ‘द मैन ऑफ गुड टाइम्स’ इमेज को बनाने में भी मददगार रहा।
साल 2020…बियर बिकती रही, लेकिन एयरलाइन की उड़ान थमने लगी
साल 2011 से किंगफिशर एयरलाइन घाटे में जाने लगी। इसकी एक वजह उस समय 2007 में एयर डेक्कन का अधिग्रहण को बताया गया। इस अधिग्रहण के बाद लगातार 3 सालों में एयरलाइन को करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 2012 तक हालात इतने खराब हो गए कि कुछ विमानों की उड़ान रोकनी पड़ी। कर्मचारियों को सैलरी मिलनी बंद हो गई। धरना प्रदर्शन होने लगे।
एयरलाइन 2009 में भारत के बाजार में 22.9% से ज्यादा की हिस्सेदारी के साथ लीड कर रही थी। 2012 में यही एयरलाइन आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने लगी। इनकम घटने लगी और घाटा बढ़ने लगा। लोन का बोझ भी बढ़ने लगा। पर विजय माल्या इस मुश्किल से निकलने के लिए बाजार से फंडिंग नहीं उठा पाए। और उनका अपनी शान-ओ-शौकत पर पहले की तरह ही खर्च बना रहा।
2012 के आखिर तक आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स की उड़ान ठप हो गई। 20 अक्टूबर को डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने लाइसेंस रद्द कर दिया। फ्लाइट्स के ऑपरेशन्स को लेकर रेगुलेटर की शर्तें पूरी ना करने पर यह कार्रवाई हुई। फरवरी 2013 में इंटरनेशनल फ्लाइंग राइट्स को भी सस्पेंड कर दिया गया। जुलाई 2014 तक करीब 9000 करोड़ रुपए का लोन नॉन परफॉर्मिंग एसेट बन गया। कंपनी ने खुद को बैंक करप्ट घोषित कर दिया।
साल 2016 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत 13 बैंकों ने 9000 करोड़ रुपए के लोन रिकवरी के लिए डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल में अर्जी लगाई। इसी साल एयरलाइन का प्रमोटर विजय माल्या देश छोड़कर इंग्लैंड भाग गया।
तब से लेकर आज तक भारत की कोर्ट से लेकर यूके की कोर्ट तक उसके प्रत्यार्पण को लेकर मामले चल रहे हैं। 2021 में डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने यूनाइटेड बुअरीज में विजय माल्या के 39.64 मिलियन शेयर को हेनीकेन एनवी को 5,824 करोड़ रुपए में बेच दिया। इस तरह भारत में किंगफिशर बियर बनाने वाली यूबी ग्रुप यूरोपीय कंपनी हेनीकेन के अंडर चली गई।
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