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यूपी के सतीश गोल्ड से दो कदम दूर: हैवीवेट बॉक्सर सतीश यादव आज उतरेंगे रिंग में, परिवार और गांव वाले जीत के लिए कर रहे पूजा; उज्बेकिस्तान के खिलाड़ी से होगा मुकाबला

मेरठ/बुलंदशहर11 मिनट पहले

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चोटिल होने के बावजूद सतीश रिंग

ओलिंपिक में बॉक्सिंग रिंग से आज भारत को पदक मिल सकता है। बुलंदशहर के सतीश यादव रविवार सुबह 9.36 बजे बॉक्सिंग के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में भाग लेंगे। सतीश का सामना उज्बेकिस्तान के खिलाड़ी जलोलोव बखोदिर से होगा। सतीश की जीत के लिए पूरा गांव और परिवार प्रार्थना कर रहा है। सतीश भी रिंग में खूब पसीना बहा रहे हैं, ताकि 2018 में ली गई प्रतिज्ञा को पदक लाकर पूरा कर सकें।

ओलंपिक में गोल्ड जीतने के लिए सतीश रिंग में खूब पसीना बहा रहे हैं।

क्वालीफाइंग राउंड की इंजरी बन सकती है बाधा
हैवीवेट बॉक्सर सतीश यादव ने क्वालीफाइंग राउंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए जमैका के खिलाड़ी ब्राउन रिकार्डो को मात देकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई है। मगर क्वालीफाइंग राउंड में सतीश को हाथ और चेहरे पर काफी इंजरी हुई है। ब्लड लॉस के साथ सतीश को टांके भी लगे हैं। यह इंजरी क्वार्टर फाइनल में सतीश के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। हालांकि सतीश यादव इंजरी पर ध्यान देने की बजाय गेम पर फोकस कर रहे हैं।

क्वालीफाइंग राउंड में सतीश को हाथ और चेहरे पर काफी इंजरी हुई है लेकिन उनका ध्यान गेम पर है।

पहले राउंड में किस्मत ने दिया था साथ
सतीश ने क्वालीफाइंग राउंड में 91 किलो वर्ग के अंतिम-16 में 4-1 से जीत हासिल की थी। क्वालीफाइंग का पहला राउंड 5-0, दूसरा और तीसरा 4-1 से जीता था। इससे पहले बॉक्सिंग के पहले राउंड में बाय मिली थी और प्रतिद्वंदी खिलाड़ी ने अपना नाम मैच से वापस ले लिया था। एशियाई चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुके सतीश कुमार टोक्यो ओलिंपिक में स्वर्ण जीतने की तैयारी के साथ टोक्यो पहुंचे हैं।

सतीश ने क्वालीफाइंग राउंड में 91 किलो वर्ग के अंतिम-16 में 4-1 से जीत हासिल की थी

सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा रिंग का शेर
सतीश यादव ने क्वालीफाइंग राउंड जीतकर जैसे ही क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई वैसे ही सोशल मीडिया पर ‘रिंग के शेर’ ट्रेंड करने लगा। प्रशंसकों ने सतीश यादव को रिंग का शेर टाइटल दिया है। दोस्त और प्रशंसक लगातार सोशल मीडिया पर सतीश का मनोबल बढ़ा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सतीश को ट्विटर पर ऑल द बेस्ट कहा है।

सतीश यादव के गांव के युवा साथी उनकी जीत के लिए चीयर अप करते हुए।

पूर्व फौजियों का गर्व से फूल रहा सीना

सतीश यादव के पिता और परिजन उनकी जीत के लिए हौसला बढ़ाते हुए।

सतीश के पिता किरनपाल सिंह यादव ने बताया कि सतीश 11 कुमायूं रेजीमेंट में सेवारत हैं। सतीश के गांव पचौता के रिटायर्ट फौजी उससे विशेष लगाव रखते हैं। छुट्टी में जब कभी वह गांव आता है तो पूर्व फौजियों से मिलकर उनका आशीर्वाद जरूर लेता है। सतीश के छोटे भाई हरीश यादव भी बॉक्सिंग खिलाड़ी हैं। वह भी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के बाद अब नेशनल लेवल पर प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए तैयारी कर रहे हैं।

​​​​पति की जीत के लिए पत्नी सविता ने रखा व्रत

सतीश यादव की पत्नी और बच्चे, पत्नी सविता ने जीत ने व्रत रखा है।

सतीश की पत्नी सविता यादव बच्चों के साथ नोएडा में रहती हैं। पति के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने पर वह काफी खुश हैं। बच्चों के साथ मंदिर में जाकर पति की जीत के लिए वो पूजा-अर्चना कर रही हैं। सविता ने बताया कि पति ने उन्हें फोन कर गोल्ड मेडल जीतकर तिरंगे का मान बढ़ाने के लिए आश्वस्त किया है। सविता अपने पति की जीत के लिए हमेशा की तरह इस बार भी व्रत रख रही हैं।

2010 में जीता पहला पदक फिर मुड़कर नहीं देखा

सतीश कुमार ने पहला गोल्ड मेडल 2010 में उत्तर भारत एशिया चैंपियनशिप में जीता था।

सतीश कुमार ने पहला गोल्ड मेडल 2010 में उत्तर भारत एशिया चैंपियनशिप में जीता था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सतीश ने पहली नेशनल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद उन्होंने एशियन गेम्स 2014 में ब्रॉन्ज मेडल और 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता। एशियन चैंपियनशिप में 2015 में भी ब्रॉन्ज जीता था।

सतीश कुमार का स्पोर्ट्स प्रोफाइल

  • 2010 में मुक्केबाजी का करियर शुरू किया।
  • 5 नेशनल रिकॉर्ड हासिल कर चुके हैं।
  • 2014 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता।
  • 2015 एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
  • 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता।
  • 2019 एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।

पूरा परिवार सतीश की उपलब्धि पर गर्व करता है। सतीश की मां गुड्‌डी बताती हैं कि सतीश 11 साल की उम्र से अभ्यास कर रहा है। तब संसाधनों का अभाव था, तो मेरा भोलू (सतीश का घर का नाम) ट्यूब् में रेत भरकर प्रैक्टिस करता था। सेना में सतीश के साथी उन्हें खली बुलाते हैं। सतीश के पिता भी बेटे की जीत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। ​​

सतीश यादव की मां गुड्डी अपने बेटे और बहू की फोटो के साथ।

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