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- LPG CNG Gas Price Today Update; International Crude Oil Price Crosses $140 Per Barrel
नई दिल्ली9 घंटे पहले
24 फरवरी को शुरू हुई यूक्रेन-रूस जंग 14 दिन से जारी है और इसके चलते आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है। इस जंग के कारण इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गए हैं। जो 14 साल का हाई लेवल है। कच्चा तेल महंगा होने से आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना तय माना जा रहा है।
इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे कमजोर हालत में पहुंच गया है। अभी 1 डॉलर की कीमत 77 रुपए के पार निकल गई है। ऐसे में इससे भी महंगाई बढ़ने लगी है। इसके अलावा नेचुरल गैस महंगी होने से आने वाले दिनों में LPG-CNG के दाम भी बढ़ सकते हैं। वहीं अब मेटल की कीमत में भी तेजी देखी जा रही है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि इसका आपकी जेब पर क्या असर होगा। सबसे पहले जानते हैं कच्चा तेल महंगा होने का आप पर क्या असर होगा।
14 साल के हाई पर पहुंचा कच्चा तेल
रूस ऑयल और नेचुरल गैस का एक मेजर प्रोड्यूसर है। यूरोपियन यूनियन के नेचुरल गैस इंपोर्ट की लगभग 40% सप्लाई रूस करता है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल महंगे हो जाएंगे। इससे ट्रांसपोर्ट कॉस्ट में बढ़ोतरी होगी और इससे खाने-पीने के सामान महंगे हो जाएंगे। कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर रुपए प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं जो 14 साल का हाई लेवल है।
- 24 फरवरी को जब युद्ध शुरू हुआ था तक कच्चा तेल 100 डॉलर पर कारोबार कर रहा था, जो अब 140 तक पहुंच चुका है।
- यानी 13 दिनों में ही कच्चा तेल 40% महंगा हो गया है।
- कच्चे तेल के इंटरनेशनल मार्केट में 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमत में प्रति लीटर 50-60 पैसे तक का इजाफा होता है।
- एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में 25 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
- वहीं सरकारी तेल कंपनियां जल्द ही इनकी कीमत में 6 रुपए तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं।
10 से 15 रुपए प्रति किलोग्राम तक महंगी हो सकती है LPG और CNG
इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण नेचुरल गैस की सप्लाई चेन को भी नुकसान हुआ है। दुनिया की कुल नेचुरल गैस उत्पादन में 17% हिस्सा रूस का है। ऐसे में यूक्रेन-रूस विवाद से इसकी सप्लाई प्रभावित हो रही है। इससे वैश्विक स्तर पर गैस की कमी का असर दिखने लगा है और आने वाले दिनों में LPG और CNG की कीमतों में प्रति किलो 10 से 15 रुपए तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
सोना-चांदी, निकल, एल्यूमीनियम और तांबे के दामों में भी तेजी
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते फरवरी के आखिरी हफ्ते से अब तक कॉपर, जिंक, निकल, लेड और एल्युमिनियम जैसे बेस मेटल्स के दाम घरेलू बाजार में 201% तक बढ़ गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तो इनमें 300% से भी ज्यादा का उछाल आ चुका है। इसके चलते इलेक्ट्रॉनिक्स, व्हाइट गुड्स और बर्तन समेत वे तमाम वस्तुएं महंगी हो जाएंगी, जिनमें बेस मेटल्स इस्तेमाल होते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों में तो इन सभी मेटल्स का इस्तेमाल होता है।
- वैश्विक बाजार में 24 फरवरी से अब तक सबसे ज्यादा 302% कीमत निकल की बढ़ी है।
- इसका इस्तेमाल स्टेनलेस स्टील और बैटरी में होता है। घरेलू बाजार में भी यह 201% महंगा हो चुका है।
- इसका असर स्टेनलेस स्टील के बर्तन और मेटल उपकरणों पर दिखेगा।
- कॉपर, जिंक, लेड और एल्युमिनियम की कीमतें बढ़ने से बिजली से चलने वाले उपकरण और अन्य सामान महंगे हो जाएंगे।
इसके अलावा सोने और चांदी के दामों में भी शानदार तेजी देखने को मिल रही है। रूस-यूक्रेस युद्ध के दौरान, यानी सिर्फ 13 दिनों में ही ये साढ़े 51 हजार से 54 हजार पर आ गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार सोना 56 हजार तक जा सकता है। इसके अलावा अगर चांदी की बात करें तो ये 67 हजार से 71 हजार पर आ गई है और इस साल 80 से 85 हजार रुपए प्रति किलोग्राम का लेवल दिखा सकती है। एल्यूमीनियम, निकिल और तांबे में आगे भी तेजी रहने की उम्मीद है।
दुनिया के बड़े गेहूं एक्सपोर्टर रूस और यूक्रेन
रूस और यूक्रेन दुनिया के बड़े गेहूं एक्सपोर्टर हैं। रूस जहां दुनिया में गेहूं एक्सपोर्ट करने के मामले में पहले नंबर पर है, तो वहीं यूक्रेन पांचवां बड़ा गेहूं एक्सपोर्टर है। कजाकिस्तान, जॉर्जिया, तुर्की, इजिप्ट और पाकिस्तान टॉप 5 देश हैं जो रूस से गेंहूं इंपोर्ट करते हैं। वहीं यमन, लीबिया और लेबनान जैसे देश जो पहले से ही युद्ध से गुजर रहे हैं वो अपने गेहूं के लिए यूक्रेन पर निर्भर हैं।
- यमन अपनी खपत का 22% यूक्रेन से इंपोर्ट करता है।
- लीबिया लगभग 43% और लेबनान अपनी खपत का लगभग आधा गेहूं यूक्रेन से इंपोर्ट करता है।
- इस टकराव से इन देशों में अस्थिरता और ज्यादा बढ़ सकती है।
- इससे आने वाले समय में गेहूं के दाम बढ़ने लगे हैं।
- इससे दलिया, ब्रेड, बिस्किट, नूडल्स, पिज्जा और सूजी के अलावा गेहूं से बने अन्य आइटम महंगे हो जाएंगे।
डॉलर के मुकाबले सबसे कमजोर हालत में पहुंचा रुपया
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रुपए पर दबाव बना हुआ है और इसी का नतीजा है कि ये डॉलर के मुकाबले सबसे कमजोर हालत में पहुंच गया है। अभी 1 डॉलर की कीमत 77 रुपए के पार निकल गई है। ऐसे में इससे महंगाई बढ़ने लगी है। डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल से लेकर विदेश में पढ़ाई करना सब महंगा हो जाएगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में डॉलर 80 रुपए तक पहुंच सकता है।
35 रुपए तक बढ़े तेल के दाम
सनफ्लावर ऑयल के मामले में भारत इसके लिए लगभग पूरी तरह से रूस और यूक्रेन पर निर्भर है। भारत में होने वाले सनफ्लावर ऑयल के कुल इम्पोर्ट का 90 फीसदी से ज्यादा इन्हीं दो देशों से आता है। रूस-यूक्रेन जंग के साथ ही देश में सूरजमुखी के तेल की सप्लाई थम गई है। इसके चलते खरीददार सूरजमुखी के तेल के विकल्प के तौर पर पाम तेल और सोया तेल की तरफ रुख कर रहे हैं। इससे इन तेलों के दाम बढ़ने लगे हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान ही इसकी कीमत में 10 से 35 रुपए की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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