नई दिल्ली18 घंटे पहले
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हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (HDFC) और HDFC बैंक 1 जुलाई को मर्ज हो गए। दोनों कंपनियों के बोर्ड ने शुक्रवार को मार्केट बंद होने के बाद मीटिंग में इस मर्जर को आखिरी मंजूरी दी थी। इसके साथ ही देश की पहली होम फाइनेंस कंपनी HDFC का अस्तित्व खत्म हो गया है।
HDFC बैंक ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत का नंबर वन प्राइवेट सेक्टर बैंक और भारत की नंबर वन होम लोन कंपनी के मर्जर के साथ हम दुनिया के लीडिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में शामिल हो गए हैं। इस अवसर पर हम उन लोगों की सेवा करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करते हैं, जिन्होंने इस मील के पत्थर को संभव बनाया है- आप, हमारे ग्राहक।’
4 अप्रैल 2022 को मर्जर की हुई थी घोषणा
HDFC और HDFC बैंक ने 4 अप्रैल 2022 को मर्जर की घोषणा की थी। मर्जर का मकसद HDFC बैंक की ज्यादा से ज्यादा ब्रांचेज में हाउसिंग लोन उपलब्ध कराना है। उधर, मर्जर से पहले HDFC के वाइस चेयरमैन और CEO केकी मिस्त्री ने बताया था कि HDFC के शेयर की डीलिस्टिंग 13 जुलाई से इफेक्टिव हो जाएगी। यानी इस तारीख से हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज से हट जाएंगे। संयुक्त कंपनी के शेयर 17 जुलाई से ट्रेड होंगे।
आइए अब यह जानते हैं इस मर्जर का HDFC के कस्टमर्स, शेयरधारकों और कर्मचारियों पर क्या असर होगा?
1. शेयरधारकों पर क्या असर होगा?
HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक के विलय के तहत निवेशकों को HDFC के 25 शेयर्स के बदले HDFC बैंक के 42 शेयर्स दिए जाएंगे। यानी अगर आपके पास HDFC लिमिटेड के 10 शेयर हैं तो मर्जर के तहत आपको 17 शेयर मिलेंगे।
2. कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
मर्जर का दोनों कंपनियों के कर्मचारियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। मर्जर से पहले ग्रुप के चेयरमैन ने कहा था कि कंपनी में कर्मचारियों की कटौती नहीं होगी। HDFC बैंक को हमारे लोगों की जरूरत है। इसके साथ ही कर्मचारियों के वेतन में किसी भी प्रकार की कमी या कटौती भी नहीं की जाएगी।
3. सभी HDFC बैंक के ब्रांच में मिलेंगी HDFC की सेवाएं
अब HDFC बैंक के ब्रांच में HDFC की सभी सेवाएं मिलेंगी। अगर किसी कस्टमर ने HDFC से लोन लिया है तो वह अब HDFC बैंक का कस्टमर बन गया है। लोन लेने वाले सभी मौजूदा ग्राहक नियम और शर्तों के आधार पर अपनी EMI चुकाते रहेंगे।
4. पहले की तरह बैंकिंग कस्टमर्स को मिलती रहेंगी सुविधाएं
HDFC बैंक के कस्टमर्स को पहले की तरह बैंकिंग सुविधाएं मिलती रहेंगी। बैंकिंग सुविधाओं में किसी भी तरह का बदलाव नहीं दिखेगा।
5. HDFC और HDFC बैंक में क्या अंतर है?
HDFC एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है जो घर और दुकान सहित अन्य प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोन देती है। वहीं HDFC बैंक में बैंकिंग से संबंधित सारे काम होते हैं- जैसे सभी तरह के लोन, अकाउंट खुलवाना या FD करना, मनी ट्रांजैक्शन आदि।
क्यों हुआ ये मर्जर?
कंपनी के अनुसार, सरकारी बैंकों और न्यू-एज फिनटेक कंपनियों से बढ़ते कॉम्पिटिशन के बीच इस मर्जर की जरूरत पहले से महसूस की जा रही थी। मैनेजमेंट ने इस बात पर दांव लगाया है कि विलय से बनने वाली सिंगल यूनिट की बैलेंस शीट बहुत बड़ी होगी, जिससे बाजार में होड़ करने का दमखम बढ़ेगा।
यह विलय HDFC लिमिटेड के लिए ज्यादा प्रॉफिटेबल हो सकता है, क्योंकि इसका बिजनेस कम प्रॉफिटेबल है। HDFC बैंक के लिहाज से देखें तो इस विलय से यह अपना लोन पोर्टफोलियो मजबूत कर सकेगा। यह ज्यादा लोगों को अपने प्रोडक्ट्स ऑफर कर सकेगा।
ये बराबरी का विलय
HDFC लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा था कि यह बराबरी का विलय है। हमारा मानना है कि RERA के लागू होने, हाउसिंग सेक्टर को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा मिलने, अफोर्डेबल हाउसिंग को लेकर सरकार की पहल जैसे तमाम दूसरी चीजों के कारण हाउसिंग फाइनेंस बिजनेस में बड़ी तेजी आएगी।
दीपक पारेख ने आगे कहा था कि पिछले कुछ साल में बैंकों और NBFC के कई रेगुलेशन बेहतर बनाए गए हैं। इससे विलय की संभावना बनी। इससे बड़ी बैलेंस शीट को बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर लोन के इंतजाम का मौका मिला। साथ ही इकोनॉमी की क्रेडिट ग्रोथ बढ़ी। अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा मिला और कृषि सहित सभी प्रायोरिटी सेक्टर को पहले से ज्यादा कर्ज दिया गया।
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