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कानपुरकुछ ही क्षण पहले
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भारत और न्यूजीलैंड के बीच कानपुर में खेला गया पहला टेस्ट मैच ड्रॉ रहा। भारतीय टीम करीब 9 ओवर में कीवी टीम का आखिरी विकेट नहीं गिरा सकी और इससे हमें ICC टेस्ट चैंपियनशिप में 8 पॉइंट्स का बड़ा नुकसान हुआ है। टेस्ट जीतने पर 12 पॉइंट्स मिलते हैं और ड्रॉ रहने पर दोनों टीमों को 4-4 पॉइंट्स ही मिलते हैं। चलिए जानने की कोशिश करते हैं इस मैच का रिजल्ट भारत के हक में न आ पाने की टॉप-5 वजहें क्या रहीं…
1. B टीम के साथ उतरना सही साबित नहीं हुआ
भारत ने इस टेस्ट मैच के लिए अपने कई अहम खिलाड़ियों को आराम दे दिया। यह ठीक है कि ज्यादातर भारतीय खिलाड़ी IPL और टी-20 वर्ल्ड कप खेल कर थके हुए थे, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए था कि न्यूजीलैंड टेस्ट क्रिकेट में अभी न सिर्फ वर्ल्ड चैंपियन है, बल्कि वह ICC रैंकिंग में भी नंबर-1 टीम है। विराट कोहली, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी को आराम किया गया, वहीं केएल राहुल चोटिल होने के कारण नहीं खेल पाए। ऐसे में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में खेली टीम एक तरह भारत की B टीम जैसी साबित हुई जो अहम मौके पर मुकाबले को अपनी ओर नहीं मोड़ सकी।
2. तेज गेंदबाजों का फ्लॉप शो
कानपुर टेस्ट में न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों टिम साउदी और काइल जेमिसन ने मिलकर 14 विकेट लिए। वहीं भारतीय तेज गेंजबाज उमेश यादव और इशांत शर्मा मिलकर सिर्फ दो विकेट निकाल सके। ऐसे में विकेट लेने का सारा बोझ स्पिनर्स पर आ गया। रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल की तिकड़ी ने कोशिश तो बहुत की लेकिन आखिरकार वे एक कदम पीछे रहे गए।
3. हमारे दिग्गज बल्लेबाज भी फेल रहे
घरेलू मैदान पर खेलने के बावजूद भारत का टॉप ऑर्डर इस मैच में कमाल नहीं दिखा सका। इस टेस्ट से पहले घर में डॉन ब्रैडमैन जैसा औसत रखने वाले मयंक अग्रवाल दो पारियों में 13 और 17 रन ही बना सके। वहीं, चेतेश्वर पुजारा (26 और 22 रन) और कप्तान अजिंक्य रहाणे (35 और 4 रन) स्ट्रगल करते ही दिखे। इससे भारतीय पारी कभी मोमेंटम हासिल नहीं कर सकी और पुछल्ले बल्लेबाजों को डैमेज कंट्रोल में लगना पड़ा। पहली पारी में भारतीय अगर 400 रनों का आंकड़ा पार कर पाती तो न्यूजीलैंड पर और भी ज्यादा दबाव बनाया जा सकता है।
4. पारी घोषित करने में देरी
इस पिच पर तेजी से रन बनाना मुश्किल था और माना जा रहा था कि 250 रन का लक्ष्य हासिल करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके बावजूद भारतीय टीम ने अपनी दूसरी पारी घोषित करने में काफी देर कर दी। भारतीय गेंदबाजों को न्यूजीलैंड को ऑलआउट करने के लिए 94 ओवर ही मिले। अगर रहाणे 40-45 मिनट पहले पारी घोषित कर देते तो यह मुकाबला भारत जीत सकता था।
5. धीमी पिच से तालमेल नहीं बिठा पाया भारत
कानपुर की पिच परंपरागत रूप से धीमी और कम उछाल वाली होती है। इस बार भी यही देखने को मिला। भारतीय टीम की रणनीति इस पिच के लिहाज से अच्छी साबित नहीं हुई। उछाल की कमी के कारण भारतीय भारतीय स्पिनर्स भी उतने खतरनाक नहीं दिखे जितने वे आमतौर पर धरेलू टेस्ट में होते हैं। साथ ही शॉट खेलना भी मुश्किल था। उछाल वाली पिच खेलने की आदि होने के बावजूद न्यूजीलैंड की टीम यहां गजब की संघर्ष क्षमता दिखाई और टीम इंडिया को अपने घर में चार साल बाद कोई टेस्ट मैच ड्रॉ खेलने पर मजबूर कर दिया।
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