सोनीपतएक घंटा पहलेलेखक: अनिल बंसल
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मुक्केबाज अमित पंघाल। फाइल फोटो।
- मुक्केबाज अमित पंघाल की हार से व्यवस्था पर उठेे सवाल
टोक्यो ओलिंपिक में मुक्केबाजी में भारत की सबसे बड़ी पदक की उम्मीद वर्ल्ड के नंबर एक मुक्केबाज अमित पंघाल हार गए। मैच के कुछ देर बाद पिता ने फोन किया तो जवाब आया कि कुछ देर में बात करता हूं, लेकिन सुबह के बाद शाम हो गई, लेकिन अमित की ओर से कोई जवाब नहीं आया। पिता को हार के साथ फ्रिक इस बात की है कि ऐसे क्या हुआ कि जिस कारण अमित ऐसा टूट गया कि हार के बाद कुर्सी पर बैठ गया। क्योंकि 9 मिनट की बाउट में इतनी थकान पहले कभी नहीं देखी।
दूसरे राउंड में ठीक से पंच तक नहीं जमा सका। वह बार-बार लड़खड़ा क्यों रहा था वह भी तब जब पहला राउंड बहुत ही शानदार तरीके से 4-1 से अपने नाम किया था। पिता की इस चिंता से अमित के कोच अनिल धनखड़ भी वाकिफ हैं। भास्कर की ओर से बात किए जाने पर कोच सिर्फ इतना ही बाेल पाए कि वे नि:शब्द हैं और कुछ कह नहीं सकते। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि टोक्यो ओलिंपिक के पहले दौर में अमित यूं हार जाएगा।
भास्कर ने शाम इन सवालों के जवाब जाने के लिए अमित से टोक्यो में संपर्क किया। फोन कॉल अमित के एक साथी ने रिसीव की। उन्होंने बताया कि इस समय अमित ठीक हैं, लेकिन खानपान में उनका संतुलन जरूर बिगड़ा था। इससे पहले कुछ और बात हो पाती फोन काटकर स्विच ऑफ कर दिया गया।
ओलिंपियन ने भी उठाया मुद्दा: मनोज बाेले- पंघाल की फिटनेस को बरकरार नहीं रख सका स्पोर्टिंग स्टाफ
ओलिंपियन एवं अर्जुन अवार्ड विजेता मनोज कुमार ने अमित पंघाल की स्थिति पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा हमारे मुक्केबाज की फिटनेस को बरकरार रखने में मुक्केबाजी स्पोर्टिंग स्टाफ असफल रहा। उन्होंने यह भी कहा कि अमित को उनके पर्सनल कोच की भी कमी खली है, वे साथ होते तो निश्चित तौर पर परिणाम बदलता। कोच राजेश ने भी कहा खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन के पीछे उनकी फिटनेस और खराब ट्रेनिंग प्रोग्राम जिम्मेदार है। पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मुकेश कुमार ने कहा कि जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही भी होनी चाहिए, आखिर हमने ओलिंपिक मेडल खो दिया।
कोच के मुद्दे पर नहीं हुई सुनवाई, तीन बड़े उदाहरण
1. अमित पंघाल ने अपने कोच अनिल धनखड़ के लिए बार-बार खेल मंत्रालय से लेकर पीएम से भी अपील की थी। पीएम से यहां तक बोले कि मैं आश्वस्त था कि मेरे कोच व फीजियो साथ जाएंगे, लेकिन अब उनके बिना ही जाना पड़ेगा।
2. टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा तीसरे दौर के अहम मुकाबले में बिना कोच के ही खेलीं और हार गईं। उनके कोच को अनुमति नहीं मिली और वे नेशनल कोच को साथ लेकर नहीं गईं। हालांकि इसके लिए उनसे फेडरेशन ने जवाब मांगा है।
3. विनेश फौगाट ने अपने और अन्य महिला पहलवानों के साथ एक फिजियो को टोक्यो भेजने का अनुरोध किया था। उनकी मांग पर आईओए की अनदेखी पर यह कहना पड़ा कि 4 महिला पहलवानों के लिए एक फिजियोथेरेपिस्ट का अनुरोध करना अपराध है। 2016 के रियो ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान उनका घुटना फ्रैक्चर हो चुका है।
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