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अमेरिका ने रूस पर कसा शिकंजा: तेल-गैस आयात पर लगाया प्रतिबंध; अब ईरान के साथ कर सकता है क्रूड का व्यापार, दुनिया पर होगा असर

2 घंटे पहलेलेखक: वाॅशिंगटन से भास्कर के लिए राेहित शर्मा

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यूक्रेन-रूस युद्ध के 13 दिन बीत चुके हैं। इस युद्ध का असर अब पूरी दुनिया पर होने लगा है। तमाम देशों के लगाए ढेरों प्रतिबंध झेलने के बाद भी रूस यूक्रेन पर अपनी कार्रवाई को रोकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते इंटरनेशनल लेवल पर अब नए समीकरण बनने लगे हैं।

रूस पर वैश्विक प्रतिबंधाें के चलते महंगे क्रूड की धार में फंसें भारत-अमेरिका सहित कई देशों के सामने बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालना बड़ी चुनौती बन गया है। हालांकि रूसी कंपनियाें ने भारत सहित कई देशों को डिस्काउंट पर क्रूड ऑयल देने की पेशकश की है। लेकिन इसमें कई पेंच हैं।

क्रूड ऑयल में गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद इंजन/मोटर ऑयल तैयार किया जाता है।

यह भी आशंका है कि अमेरिका और पश्चिमी देश खफा हाे जाएंगे। रूस से तेल और गैस एक्सपोर्ट प्रतिबंधाें के दायरे में नहीं है, लेकिन स्वैच्छिक खरीदाराें के रूसी तेल की खरीद से परहेज से क्रूड 140 डाॅलर के 13 साल के हायर स्टेज पर है।

इस बीच, अमेरिका ने रूस से तेल के इंपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को इस संबंध में घोषणा कर दी। वहीं ब्रिटेन ने 2022 के आखिर तक रूसी तेल-गैस के इंपोर्ट पर निर्भरता खत्म करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि इस मामले में टास्क फोर्स बनाई जाएगी, जो वैकल्पिक सप्लायर खोजेगी।

क्रूड ऑयल से पेट्रोल-डीजल के साथ साथ कई तरह के और प्रोडक्ट निकलते हैं, इस वजह से क्रूड के दाम बढ़ने से पेट्रोल-डीजल के दाम भी बड़ जाते हैं।

यही नहीं, अब सऊदी अरब के साथ पुराने दुश्मन वेनेजुएला और ईरान से ऑयल डील की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसके लिए अमेरिका ने अफसरों को वेनेजुएला भेजा है। अब तक अमेरिका और वेनेजुएला के संबंध खराब रहे हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधाें के बावजूद ईरान से क्रूड लिया जा सकता है। परमाणु डील पर बातचीत में ऑयल भी शामिल है।

ऐसा हुआ तो टूट जाएगी रूसी अर्थव्यवस्था
तेल ऐसी पूंजी है, जो संकट में फंसे रूस के लिए संजीवनी बन सकती है। रूस रोज 80 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है और दुनिया के 80 देशों में सप्लाई करता है। उसके तेल की 25 फीसदी खपत यूरोप और 15 परसेंट चीन में है। भारत में 2% ही रूसी खपत है। रूसी उपप्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नाेवाक ने कहा, रूसी तेल पर बंदिश से दुनिया की अर्थव्यवस्था पर संकट पैदा हाे जाएगा।

यूराेपीय बाजाराें में इतनी जल्दी इसकी आपूर्ति की भरपाई संभव नहीं हाेगी। वहीं रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नाेवाक ने चेतावनी दी है कि युद्ध के चलते क्रूड की कीमतें 300 डाॅलर बैरल तक पहुंच सकती हैं। पहले ही 40 साल की सबसे अधिक महंगाई से जूझ रहे अमेरिका में पेट्राेल की कीमतें 14 साल में सबसे ज्यादा हैं।

क्रूड ऑयल से पेट्रोल-डीजल के साथ साथ कई तरह के और प्रोडक्ट निकलते हैं, इस वजह से क्रूड के दाम बढ़ने से पेट्रोल-डीजल के दाम भी बड़ जाते हैं।

भारत को सस्ते तेल का ऑफर क्यों दे रहा रूस
मुश्किल में घिरी रूसी कंपनियां भारत सहित कई देशाें काे 25-27% छूट देकर क्रूड बेचने का ऑफर दे रही हैं। हालांकि भारत के लिए इसे लाने में कई समस्याएं हैं। लाॅजिस्टिक समेत खर्च के बाद लागत उतनी ही पड़ेगी, जितनी अभी है।

टैंकर: फ्री ऑन बोर्ड मॉडल में तेल देने की बात कही जा रही है। यानी खुद ले जाइए। भारत 80% तेल पश्चिमी देशों के टैंकर से लाता है। ये देश रूस से क्रूड के लिए टैंकर देंगे?
बीमा: भारतीय कंपनियां खुद बीमा करती हैं। इसके बाद विदेशी कंपनियाें से समर्थन दिया जाता है। प्रतिबंधों के बाद पश्चिमी देशों की कंपनियां रूसी तेल पर बीमा देने को तैयार नहीं।
भुगतान: तेल का कारोबार डाॅलर में होता है। अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली स्विफ्ट तक रूस की पहुंच राेक दी गई है। भारतीय कंपनियां इसके लिए राह तलाशने की कोशिश कर रही हैं। पहले रुपए और रुबल में कारोबारी संभावना पर काम हुआ है।
कैसे आ सकता है रूसी क्रूड:युद्ध के बावजूद रूस का तेल एक्सपोर्ट हाे रहा है। दो सरकारों के बीच समझौते और अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॅाट बिक्री से इंपोर्ट किया जा सकता है। एक बार तेल स्पॉट बाजार में आ जाए तो राष्ट्रीयता नहीं रह जाती। यह मंडी में आए फल-सब्जी जैसा हो जाता है। ऐसे में नफा-नुकसान और आयात की सुगमता व भुगतान की शर्तें मायने रखती हैं। सभी पैमानाें पर सुविधाजनक हाे ताे रूस की पेशकश का लाभ उठाया जा सकता है।

(जैसा नरेंद्र तनेजा, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा विशेषज्ञ; आरएस शर्मा, पूर्व अध्यक्ष ओएनजीसी ने बताया )

अब रूस का गोल्ड रिजर्व बैन करने की मांग
अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने मंगलवार को रूस के गोल्ड रिजर्व पर प्रतिबंध लगाने का कानून बनाने की मांग की है। रूस के पास 130 अरब डाॅलर का सोने का भंडार है। सीनेटरों के मुताबिक वह अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए सोने का इस्तेमाल कर सकता है।

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