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पुजारी से पुजारा बनने की कहानी: दिल्ली में आज 100वां टेस्ट खेलेंगे चेतेश्वर; जानिए उन्हें क्यों कहते हैं भारतीय टेस्ट बैटिंग की बैक बोन

नई दिल्ली12 मिनट पहले

पुजारा ने दो साल पहले सिडनी टेस्ट में संयमित पारी खेलकर भारत को हार से बचाया था।

भारतीय टेस्ट बैटिंग की बैक बोन चेतेश्वर पुजारा शुक्रवार को करियर का 100वां टेस्ट खेलेंगे। पुजारा दुनिया के उन चुनिंदा क्रिकेटर्स में शुमार हैं, जिन्हें टेस्ट स्पेशलिस्ट का तमगा प्राप्त है। 35 साल के पुजारा परफेक्ट क्रिकेट बुक के शॉट्स के लिए भी जाने जाते हैं।

वे ‘आर्ट ऑफ हिटिंग’ के इस दौर में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ की कला को संभाले हुए हैं। शांत स्वभाव की छवि के साथ क्रिकेट फैंस के दिलों में राज करने वाले पुजारा की क्रिकेट जर्नी उतार-चढ़ाव भरी रही है। 17 साल की उम्र में मां को खो देने का गम हो या फिर 2009 में करियर खतरे में डालने वाली हैमस्ट्रिंग बोन इंजरी। पुजारा संकट की हर घड़ी में धैर्य के साथ डटे रहे, जैसे वे विकेट पर क्रिकेट की हर परिस्थिति में डटे रहते हैं।

इस स्टोरी में आप द न्यू वॉल ऑफ इंडिया चेतेश्वर के नन्हें पुजारी से पुजारा बनने की कहानी जानेंगे…

पहले देखिए 100 से ज्यादा टेस्ट खेलने का मुकाम हासिल करने वाले भारतीय क्रिकेटर्स की सूची

अब चलते हैं पुजारा के बचपन की ओर…

10 मिनट पूजा करने के बाद मिलता था वीडियो गेम
जन्म 25 जनवरी 1988 को राजकोट के एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में जन्में पुजारा बचपन में खूब वीडियो गेम खेलते थे। ऐसे में उनकी मां रीमा ने पुजारा के सामने शर्त रखी कि अगर वह 10 मिनट तक पूजा करेगा तो वह उसे वीडियो गेम खेलने देगी। वीडियो गेम खेलने की चाह में नन्हें पुजारा हर रोज पूजा करने लग गए।

नन्हें पुजारा के साथ पिता अरविंद और मां रीमा।

चाचा भी रणजी खिलाड़ी, पिता पहले कोच
पुजारा के पिता अरविंद और मां रीमा ने जल्दी ही अपने बेट की प्रतिभा को पहचान लिया। 8 साल की छोटी-सी उम्र में अपने पिता से क्रिकेट का कखग..सीखा। अरविंद कोच के रूप में बहुत सख्त थे। थोड़ी-सी गलती होने पर सबके सामने डांट पड़ती थी। पुजारा के चाचा बिपिन भी सौराष्ट्र की ओर से रणजी खेल चुके हैं।

पुजारा ने अपने पिता अरविंद के साथ यह फोटो उनके जन्मदिन पर पोस्ट की। पुजारा ने पूजा पबारी के साथ लव मैरिज की थी।

17 साल की उम्र में सिर से उठा मां का आंचल
पुजारा 17 साल के थे, जब उनके सिर से मां का आंचल उठ गया। 2005 में वे अंडर-19 का मैच खेल कर लौटे। पुजारा ने अपनी मां रीमा को फोन पर कहा कि पिताजी को लेने के लिए राजकोट बस स्टैंड भेज दें, लेकिन इस युवा को बस स्टैंड में पिता की जगह एक रिश्तेदार मिला, जिसने उन्हें बताया कि आपकी मां का निधन हो चुका है। इसी साल पुजारा ने रणजी डेब्यू किया।

चेतेश्वर पुजारा ने अपनी मां की यह फोटो मदर्स डे पर पोस्ट की। फोटो उनके बचपन का है।

2009 में टूटी हैमस्ट्रिंग बोन, शाहरुख खान ने मदद की
2009 में साउथ अफ्रीका में इंडियन प्रीमियर लीग में कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खेलते हुए पुजारा की हैमस्ट्रिंग बोन टूट गई। ऐसे में परिवार वाले उन्हें राजकोट लाना चाहते थे, लेकिन टीम के मालिक शाहरुख ने पुजारा के परिजनों से बात की और उन्हें साउथ अफ्रीका में पुजारा की सर्जरी कराने के लिए रजी किया। शाहरुख का तर्क था कि रग्बी खिलाड़ियों को इस तरह की चोट लगती है और वहां के डॉक्टर इसकी सर्जरी अच्छे से करते हैं। शाहरुख ने पुजारा के पिता का पासपोर्ट बनाया और उन्हें साउथ अफ्रीका ले गए।

लक्ष्मण की गैरमौजूदगी में टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी
करीब 13 साल पहले 2010 में पुजारा ने बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। सीरीज के दूसरे मुकाबले की चौथी पारी में भारत को 200 से ज्यादा रनों का लक्ष्य मिला था और भारत ने 17 रन पर वीरेंद्र सहवाग का विकेट गंवा दिया था।

सीरीज के पहले मुकाबले की चौथी पारी में 73 रन क्लासिकल पारी खेलकर टीम को जीत दिलाने वाले VVS लक्ष्मण भी उस मैच में नहीं खेल रहे थे। वे चोटिल थे। ऐसे में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टीम को बचाने का जिम्मा युवा पुजारा को दिया, जबकि वे इस मुकाबले की पहली पारी में महज 4 रन ही बना सके थे। उसके बावजूद धोनी बैटिंग ऑर्डर में बदलाव करते हुए पुजारा को राहुल द्रविड़ की जगह नंबर-3 पर उतारा।

पुजारा ने भी कप्तान को निराश नहीं किया और 72 रनों की पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट में दस्तक दी। भारत ने वह मैच 7 विकेट से जीता।

लक्ष्मण की गैरमौजूदगी में पुजारा ने डेब्यू टेस्ट में भारत को संकट से उबारते हुए जीत दिलाई

खुद को द्रविड़ का विकल्प साबित किया
पुजारा ने अपने दमदार डिफेंस के दम पर खुद को द्रविड़ के विकल्प के तौर पर साबित किया और धीरे-धीरे नंबर-3 पर अपनी जगह पक्की कर ली। 99 टेस्ट में उन्होंने कई यादगार पारियां खेलीं।
अब ग्राफिक में देखिए पुजारा की यादगार पारियां…

आगे पढ़िए पुजारा के बल्ले से निकली 5 यादगार पारियां…

  • 206* और 41* | अहमदाबाद, नवंबर 2012 चेतेश्वर पुजारा ने डेब्यू के बाद अपने छठे टेस्ट में ही इंग्लैंड के खिलाफ दोहरा शतक जड़ दिया। नवंबर 2012 में इंग्लैंड की टीम 4 टेस्ट खेलने भारत आई। अहमदाबाद में खेले गए पहले टेस्ट में ही उन्हें पुजारा का विशाल रूप देखने को मिल गया। पुजारा ने करीब साढ़े आठ घंटे की बैटिंग में 21 चौकों की मदद से नाबाद 206 रन बना डाले। इस पारी के दम पर भारत ने 521/8 के स्कोर पर अपनी पहली पारी डिक्लेयर कर दी। दूसरी पारी में भी पुजारा ने नाबाद 41 रन बनाए और टीम को 7 विकेट से जीत दिला दी।
  • 145* | कोलंबो, अगस्त 2015 2014 में खराब फॉर्म के चलते पुजारा टेस्ट टीम से बाहर हो गए। लेकिन, अगस्त 2015 में उन्हें श्रीलंका दौरे पर फिर मौका मिला। पुजारा ने कमबैक गेम में ओपनिंग की और 145 रन की नाबाद पारी खेली। उन्होंने गेंदबाजों के साथ पार्टनरशिप की और टीम को 312 रन तक पहुंचाया। दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार परफॉर्मेंस किया और श्रीलंका को 386 रन का टारगेट मिला। कोलंबो में शतकीय पारी के दौरान चेतेश्वर पुजारा। वे दूसरी पारी में जल्दी आउट हो गए। श्रीलंका से एंजलो मैथ्यूज ने शतक जड़ा, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके। भारत ने पुजारा की पारी के दम पर 117 रनों से मैच जीता। भारत ने श्रीलंका में यह सीरीज 2-1 से जीती और यहीं से पुजारा भारतीय टेस्ट टीम की बैकबोन बन गए।
  • 132* | साउथम्प्टन, सितंबर 2018 2018 में भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गई और 3 मैच के बाद सीरीज में 2-1 से पिछड़ गई। चौथे टेस्ट में इंग्लैंड 246 पर ऑलआउट हुई, लेकिन 195 के स्कोर पर भारत ने भी 8 विकेट गंवा दिए। पुजारा एक एंड पर टिके हुए थे। उन्होंने यहां भी तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा और जसप्रीत बुमराह के साथ पार्टनरशिप की और टीम को 273 रन तक पहुंचाया। पुजारा ने 257 गेंद में 16 चौकों की मदद से नाबाद 132 रन बनाए। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में बेहतर बैटिंग की और भारत के सामने बड़ा टारगेट रखा। टीम इंडिया ने चेज करने की कोशिश की, लेकिन मोईन अली के 4 विकेट के बाद भारत 60 रन से मैच हार गया। मुश्किल परिस्थितियों में पुजारा की इस पारी ने उन्हें इंग्लैंड में भी भारत का बेस्ट बैटर बना दिया।
  • 123 और 71 | एडिलेड, दिसंबर 2018 2018 में ही पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी बैटिंग से भारत को टेस्ट सीरीज जिताई। पहले ही टेस्ट में पुजारा ने 123 रन की पारी खेली और टीम के आधे रन बनाए। भारत पहली पारी में 250 रन बना सका। पुजारा के स्कोर के बाद गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया को कम स्कोर पर ऑलआउट कर दिया। दूसरी पारी में भी पुजारा ने कमान संभाली और 71 रन बनाकर टीम को 307 रन तक पहुंचाया। ऑस्ट्रेलिया को 323 रन का टारगेट मिला। जिसे भारतीय गेंदबाजों ने बखूबी डिफेंड किया और भारत 31 रन से मैच जीत गया। पुजारा ने इस सीरीज में 521 रन बनाए और अपनी टीम को 2 टेस्ट जिताए। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड भी दिया गया।
  • 50 और 77 | सिडनी, जनवरी 2021 पुजारा की सबसे यादगार मैचों में से दो मैच 2 साल पहले ऑस्ट्रेलिया में देखने को मिले। 4 टेस्ट की सीरीज में 2 मैचों के बाद स्कोर लाइन 1-1 से बराबर थी। तीसरा टेस्ट सिडनी के खतरनाक विकेट पर खेला गया। जहां पुजारा ने पहली पारी में 176 बॉल पर 50 और दूसरी पारी में 205 बॉल पर 77 रन बनाए। उन्होंने दोनों ही पारियों में कंगारू तेज गेंदबाजों के बाउंसर सहे और शरीर पर 11 चोट लगने के बाद भी ऋषभ पंत का साथ दिया। इस पारी के दम पर भारत ने टेस्ट मैच ड्रॉ करा लिया। पुजारा ने सिडनी टेस्ट में 77 रनों की संघर्षपूर्ण पारी खेलकर मैच ड्रॉ कराया। बाद में भारत ने ब्रिस्बेन टेस्ट जीतकर सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी। सिडनी के बाद ब्रिसबेन टेस्ट में भी पुजारा ने कई गेंदें खेल और एक एंड संभाला। उन्होंने पहली पारी में 94 बॉल पर 25 और दूसरी पारी में 211 बॉल पर 56 रन बनाए। उनकी पारियों ने पंत का कॉन्फिडेंस बढ़ाया। जिसके सहारे भारत ने टेस्ट मैच जीता और ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी बार टेस्ट सीरीज जीतने का कारनामा किया।

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