Site icon News Azi

नडाल खेल ही नहीं, अपनी खूबियों के कारण भी चर्चित: अरस्तू जैसी बातें और कन्फ्यूशियस जैसा व्यवहार, नडाल की सफलता की कहानी ऐसी ही है

  • Hindi News
  • Sports
  • French Open Tennis| Rafael Nadal Vs Novak Djokovic Nadal Philosophy On Successful

पेरिस23 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

रिकॉर्ड 21 ग्रैंड स्लैम और 13 फ्रेंच ओपन विजेता स्पेनिश खिलाड़ी नडाल संभवत: अपने अंतिम फ्रेंच ओपन टूर्नामेंट में उतरे हैं। 35 साल के टेनिस स्टार राफेल नडाल की फिलॉसफी उन्हें औरों से अलग करती है। उनकी फिलॉसफी की चर्चा इसलिए, क्योंकि वह अरस्तू जैसी बातें भी करते हैं और कन्फ्यूशियस जैसा व्यवहार भी। उनकी सफलता में ऐसी ही कई फिलॉसफी का अहम योगदान दिखता है। फ्रेंच ओपन में नोवाक जोकोविच को हराने वाले नडाल की 4 फिलॉसफी… जिसे अपनाकर कोई भी सफलता की राह पर आगे निकल सकता है…
1. कष्ट को भी अपनाओ
फ्रैक्चर के दर्द से निकल मई में नडाल मैड्रिड ओपन में उतरे थे। एक पसली के फ्रैक्चर के बावजूद उन्होंने इससे पहले के टूर्नामेंट का मैच नहीं छोड़ा। फ्रैक्चर के दर्द के साथ 190 मिनट खेले। चार मैच प्वाइंट से बढ़त बना चुके डेविड गॉफिन को हराया। तब कहा- ‘ऐसे मौकों के साथ जिंदगी जीना सीखना चाहिए। ऐसे दर्द का भी आनंद लेना चाहिए।’ अरस्तू की सीख है- ‘सबसे योग्य नैतिक विकल्पों के रास्ते में हमेशा दर्द होता है।’
2. जहां वश नहीं, उसकी चिंता नहीं
2008 में विम्बलडन फाइनल अब तक का सबसे रोमांचक मैच है। इसमें नडाल के सामने रोजर फेडरर भारी पड़ रहे थे। नडाल लगभग हार रहे थे। ब्रेक में कोच टोनी नडाल को चिंतित देखकर उन्होंने कहा- ‘निश्चिंत रहें, मैं हारने नहीं जा रहा हूं। संभव है कि फेडरर जीतंे, लेकिन मैं नहीं हार रहा।” नडाल सिर्फ उसी मैच में नहीं, हर मैच में बगैर चिंता अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं। फिलॉसफी कहती है- जहां तक वश चले, अपना सर्वश्रेष्ठ दो।
3. नम्रता का रास्ता मत छोड़ो
2010 में 24 साल के नडाल यूएस ओपन अपने नाम करने के साथ सबसे कम उम्र में चारों ग्रैंड स्लैम जीतने वाले बने तो किसी ने पूछा- ‘क्या आप खुद को अपने प्रतिद्वंद्वी रोजर फेडरर से बेहतर पाते हैं?’ राफेल का जवाब था- ‘फेडरर से बेहतर होने की बात करना भी बेवकूफी भरा है, निश्चित तौर पर वह बेहतर हैं।’ समाजशास्त्री अरस्तू हों या विचारक थॉमस एक्विनास कहते थे- विनम्रता ही सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है।
4. अपने रिवाज स्थापित करो
हाथ में एक रैकेट लेकर कोर्ट पर आना, पहले रिकवरी ड्रिंक और फिर पानी पीना, चेंज ओवर में प्रतिद्वंद्वी के बाद कोर्ट बदलना… नडाल की इन आदतों को अंधविश्वास भी कहा जाता है। लेकिन, वह कहते हैं- ‘जीत हो या हार, आदतें नहीं बदलनी चाहिए। अपने लिए एक रिवाज स्थापित करना ही चाहिए। कन्फ्यूशियस के अनुसार, ‘छोटे-छोटे संस्कार अच्छे चरित्र का निर्माण करते हैं। व्यवस्थित लोग भीड़ से अलग निकलते हैं।’

खबरें और भी हैं…

Stay connected with us on social media platform for instant update click here to join our  Twitter, & Facebook

We are now on Telegram. Click here to join our channel (@TechiUpdate) and stay updated with the latest Technology headlines.

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsAzi is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – admin@newsazi.com. The content will be deleted within 24 hours.
Exit mobile version