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कांस्टेबल पिता के क्रिकेटर बेटे की कहानी: 9 साल तक घर नहीं आए कार्तिकेय, मुंबई IPL में फिर हुआ सिलेक्शन

झांसी25 मिनट पहले

उत्तर प्रदेश के कुमार कार्तिकेय का IPL में फिर से स्पिन का जादू देखने काे मिलेगा। IPL-2023 के लिए खिलाड़ियों की रिटेंशन लिस्ट जारी हुई है। इसमें मुंबई इंडियन ने कुमार कार्तिकेय को टीम का हिस्सा बनाया है। पिछले IPL में उनको खरीदा नहीं गया था। बीच IPL में अरशद खान के चोटिल होने से उनको टीम में जगह मिली।

तब उन्होंने पहले ही मैच में किफायती गेंदबाजी की और अपनी टीम को पहली जीत दिलाई थी। IPL के 4 मैच में 5 विकेट लिए थे। वे लेफ्ट आर्म्स स्पिन गेंदबाज हैं। उनके पिता श्याम नाथ सिंह यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं। वह फिलहाल झांसी में पोस्टेड हैं। दोनों बार कार्तिकेय को बेस प्राइस पर खरीदा गया। यानी इस बार भी उनको 20 लाख रुपए मिलेंगे।

कुमार कार्तिकेय ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए बताया कि IPL के बाद काफी निखार आया। कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ गया। अब अगले IPL में और अच्छा प्रदर्शन करूंगा। मेरा सपना है कि टीम इंडिया के लिए खेलूं।

  • आगे बढ़ने से पहले कुमार कार्तिकेय के संघर्ष की दिलचस्प कहानी पढ़िए..

मुंबई इंडियन ने IPL 2023 के लिए खिलाड़ियों की सूची जारी की है। इसमें कुमार कार्तिकेय भी हैं।

2022 में IPL से किया डेब्यू

2022 के IPL में कुमार कार्तिकेय सिंह का नाम सुर्खियों में रहा। उन्होंने मुंबई इंडियंस की ओर से राजस्थान रॉयल के खिलाफ डेब्यू किया। सिर्फ 19 रन देकर 4 ओवर्स की गेंदबाजी में संजू सैमसन का कीमती विकेट हासिल किया था। कार्तिकेय ने 9 साल तक घर से दूर रहकर छोटी-मोटी नौकरियां कीं और आखिर में अपना सपना पूरा कर दिखाया।

माता-पिता की पुकार भी कर दी अनसुनी

क्रिकेटर बनने की उम्मीद में कार्तिकेय 9 साल तक घर नहीं गए थे। माता-पिता ने फोन कर बेटे से लौट आने को कहा, लेकिन कार्तिकेय इरादे के पक्के थे। बाएं हाथ के इस स्पिनर ने IPL डेब्यू के बाद बताया, ”मैंने सोच रखा था कि जिंदगी में कुछ हासिल करने के बाद ही घर लौटूंगा।” IPL खत्म होने के बाद कार्तिकेय अपने माता-पिता से मिलने घर गए थे।

2022 के IPL में कार्तिकेय ने मुंबई की तरफ से बॉलिंग की थी। अपने पहले ही मैच में संजु सैमसन का विकेट लेने के बाद इस अंदाज में उन्होंने अपनी खुशी का इजहार किया था।

किस्मत से मिला मौका

कार्तिकेय सिंह 28 अप्रैल को मुंबई इंडियंस में रिप्लेसमेंट प्लेयर के तौर पर जुड़े थे। उन्हें बाएं हाथ के पेसर मोहम्मद अरशद खान के चोटिल होने की वजह से टीम में मौका मिला। कार्तिक को 20 लाख रुपए के बेस प्राइस पर जोड़ा गया। इस युवा खिलाड़ी ने अब तक 9 फर्स्ट क्लास, 19 लिस्ट-ए और 9 टी20 मैच खेले हैं, जिनमें क्रमश: 35, 18 और 10 विकेट चटकाए हैं।

कार्तिकेय यूपी के सुल्तानपुर में पैदा हुए हैं। कार्तिकेय घरेलू क्रिकेट मध्य प्रदेश की तरफ से खेलते हैं, जबकि उनका छोटा भाई उत्तर प्रदेश की जूनियर टीम का हिस्सा है।

पिछले IPL में कुमार कार्तिकेय ने 4 मैच में 5 विकेट लिए थे। इससे वो काफी सुर्खियों में रहे थे।

गौतम गंभीर को जिसने तराशा, वहां भी मिली निराशा

कार्तिक के लिए IPL तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। उनके क्रिकेट खेलने की शुरुआत कानपुर से हुई थी। पर यूपी से खेलने के दौरान उन्हें सफलता नहीं मिली तो दिल्ली चले गए। यहां उन्होंने गौतम गंभीर, अमित मिश्रा जैसे खिलाड़ियों को तराशने वाले संजय भारद्वाज की एकेडमी में किस्मत आजमाई। पर वहां उम्मीद के मुताबिक करियर ग्राफ ऊपर नहीं जा सका।

इसके बाद कार्तिकेय ने मध्य प्रदेश का रुख कर लिया। यहां उन्हें शहडोल संभाग की अंडर-23 टीम से खेलने का मौका मिला। धीरे-धीरे उन्होंने मध्य प्रदेश की रणजी टीम में जगह बनाई। ऑक्शन से पहले मुंबई इंडियंस ने उन्हें ट्रायल्स के लिए बुलाया था, लेकिन मुख्य स्क्वॉड में शामिल नहीं किया। अरशद खान के चोटिल होने के बाद उन्हें मुंबई ने मौका दिया।

ये फोटो रणजी मैच में चैंपियन बनने के बाद की है। कार्तिकेय 6 मैच में 32 विकेट लेकर अपनी टीम के सबसे सफल गेंदबाज रहे।

IPL के बाद मध्य प्रदेश को रणजी चैंपियन बनाया

पिछले IPL में अपनी छाप छोड़ने के बाद कुमार कार्तिकेय मध्य प्रदेश की टीम से रणजी खेले। कार्तिकेय की बदौलत मध्य प्रदेश पहली बार रणजी चैंपियन बनी। 6 मैच में 32 विकेट लेकर अपनी टीम के सबसे सफल गेंदबाज रहे। पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने में वे दूसरे नंबर पर थे।

कार्तिकेय ने बताया, ”मैंने मुस्तफा अली ट्रॉफी भी खेली है। इसमें 5 मैच में 5 या 6 विकेट लिए थे। यह ट्रॉफी वैसी नहीं गई, जैसा मैं चाहता था। मगर ठीक था। फिर दिलीप ट्रॉफी खेली। एक मैच में 8 विकेट लिए। अब तक 13 रणजी मैच में 63 विकेट लिए हैं।”

फिलहाल मुंबई में चल रही विजय हजारे ट्रॉफी में कार्तिकेय मध्य प्रदेश की तरफ से खेल रहे हैं। अभी तक खेले दो मैच में एक विकेट ले चुके हैं। एक में टीम को हार का सामना करना पड़ा, जबकि दूसरा मैच टीम जीत गई। आज यानी गुरुवार को कार्तिकेय की टीम का मैच है।

कुमार कार्तिकेय के प्रदर्शन को देखते हुए सचिन और जहीन खान ने उनकी बहुत तारीफ की थी।

सचिन तेंदुलकर, जहीर खान ने की सराहना

कुमार कार्तिकेय बताते हैं, ”अच्छे लेवल पर खेलने के बाद थोड़ी चेंज आ जाता। बड़े प्लेयरों के साथ खेला तो कॉन्फिडेंस बढ़ गया। उसी का परिणाम है कि मध्यप्रदेश को रणजी चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभा पाया। सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, महेला जयवर्धने ने मेरी तारीफ की। इससे कॉन्फिडेंस आया। बड़े प्लेयरों के साथ खेलने पर मुझे एक्सपीरिएंस मिला। कैसे गेम में अप्रोच करते हैं और क्या एटीट्यूड रहना चाहिए।”

कुमार कार्तिकेय का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है। एक समय वे खर्च पूरा करने के लिए पार्ट टाइम जॉब भी करते थे।

कानपुर में 3 साल प्रैक्टिस के बाद गए थे दिल्ली

कार्तिकेय की मां सुनीता और छोटा भाई कुमार विनायक सिंह कानपुर में रहते हैं। कार्तिकेय को कानपुर में प्रैक्टिस करते हुए 3 साल हो गए थे। 2014 में वह दिल्ली चले गए। तब उसकी उम्र 16 साल थी। एकेडमी कोच एसएन भारद्वाज ने ट्रायल लेने के बाद दाखिला दे दिया। तब पैसे नहीं थे। 10 रुपए बचाने के लिए वह पैदल चलता था।

ये फोटो कार्तिकेय और उनकी मां सुनीता की है। 9 साल बाद घर पहुंचने पर उनकी मां ने उन्हें खूब दुलार किया।

कार्तिकेय बताते हैं कि दिल्ली में रेंट पर रूम काफी महंगे थे तो दिल्ली से बाहर कमरा लिया। आने-जाने में 10 घंटे लग जाते थे। आर्थिक हालत नाजुक थी तो पार्ट टाइम जॉब की। दिन में प्रैक्टिस करते थे और रात में 1:30 बजे से सुबह 5 बजे तक की जॉब। बस में यात्रा के दौरान वह सो लेते थे।

2018 में पहली बार एमपी टीम में जगह मिली। सबसे पहले अपने पिता को कॉल लगाकर बताया। तो वे रोने लगे। मैं उनसे 6 साल बाद बात कर रहा था। इसके बाद गेंदबाजी में लगातार निखार आता गया।

पिता बोले- मुंबई इंडियन मेरी फेवरेट टीम, बेटा हमेशा उसी के लिए खेले

ये फोटो कार्तिकेय के पिता श्याम नाथ सिंह की है। वो यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं।

पिता ने कहा कि “मुंबई इंडियन मेरी सबसे फेवरेट टीम है। मुंबई ने दोबारा बेटे को लिया है। मुझे बहुत खुशी है। मैं चाहता हूं कि वो हमेशा मुंबई के लिए खेले। IPL खेलने के बाद बेटे की गेंदबाजी में काफी निखार आया। बल्लेबाज तो उनको टारगेट करने की कोशिश नहीं करते हैं बस बचने की कोशिश करते हैं। चूंकि सचिन, जहीर और महेला जयवर्धने के संरक्षण में बेटे ने बहुत कुछ सीखा है। IPL खेल ही रहे हैं, मैं चाहता हूं कि वो इंडिया टीम में पहुंचे।”

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